- इटारसी के गांधी मैदान में वृंदावन के कलाकार कर रहे हैं श्रीराम लीला का मंचन
- वीर सावरकर मैदान पुरानी इटारसी में जगदंबा रामलीला मंडल मैहर का मंचन
इटारसी। नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में गांधी मैदान और वीर सावरकर मैदान पुरानी इटारसी में श्रीराम लीला और दशहरा उत्सव का आयोजन चल रहा है। गांधी मैदान में श्री बालकृष्ण लीला मंडल वृंदावन के कलाकार श्री श्यामसुंदर शर्मा छोटे महाराज के नेतृत्व में लीला मंचन कर रहे हैं। वीर सावरकर मैदान में श्री जगदंबा रामलीला मंडल मैहर के कलाकार मंचन कर रहे हैं।
गांधी मैदान में आज आयोजित श्री रामलीला में मनु-सतरूपा प्रसंग, श्री राम जन्म, विश्वामित्र का आगमन और ताडक़ा वध तक के प्रसंग का मंचन किया। रामलीला के कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों का मन मोह लिया। मनु-सतरूपा मंचन के अंतर्गत राजा मनु राजपाठ त्याग कर पत्नी सतरूपा के साथ एकांतवास में चले गए। भगवान विष्णु की आराधना में लीन हो गए। पहले फल खाकर, फिर सिर्फ पानी और इसके बाद ओस मात्र पीकर तपस्या शुरू की। तपस्या देख त्रिलोकीनाथ ने बारी-बारी से पहुंचकर उनसे वर मांगने के लिए कहा। इसके बाद भी तपस्या से नहीं उठे। आखिर में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तपस्या कर रहे मनु सतरूपा के पास गए। जब वह तपस्या से उठे, तो सबसे भगवान विष्णु को याद किया। विष्णु भगवान ने वरदान मांगने के लिए कहा।
इस पर मनु ने कहा, साक्षात दर्शन से सब कुछ प्राप्त हो गया। वह पुत्र के रूप में पाना चाहते हैं। इस पर भगवान ने तथास्तु कहकर सतरूपा से भी पूछा। इस पर उन्होंने पति की मंशा अनुरूप ही वरदान के लिए बोला। रामलीला के बीच-बीच में मनोरंजन के लिए कुछ पात्रों ने आकर दर्शकों को खूब हंसाया।
श्रीराम जन्म की लीला
दशरथ जी द्वारा पुत्रेष्ठी यज्ञ और श्री राम जन्म की लीला का मंचन में महाराज दशरथ को शोक उत्पन्न होता है। बड़ा राज्य होकर भी एक भी पुत्र नहीं है। उनके मंत्री चिंतित हो जाते हैं और पूछते हैं राजन क्या हुआ। तब महाराज दशरथ कहते हैं कि एक भी पुत्र नहीं है तो महामंत्री सुमंत कहते हैं कि कुलगुरु वशिष्ट के पास जाइए। वशिष्ठ के पास जाते हैं तो वह इस कार्य में पारंगत श्रृंगी ऋषि के पास भेजते हैं। वहां यज्ञ किया जाता है और अग्नि देव प्रसन्न होते हैं और एक फल प्रदान करते हैं, जिससे महाराज दशरथ के यहां चार पुत्रों की प्राप्ति होती है?
विश्वामित्र आगमन और ताडक़ा वध
श्री रामलीला मंचन के दूसरे दिन श्री बालकृष्ण रामलीला मंडल के कलाकारों ने ताडक़ा वध प्रसंग का मंचन किया गया। रामलीला देखने आए दर्शकों ने रामलीला का लुफ्त उठाया। भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब वापस अयोध्या आते हैं, तो वहां विश्वामित्र का आगमन होता है। वह राम और लक्ष्मण को यज्ञ की रक्षा के लिए अपने साथ ले जाते हैं। विश्वामित्र के साथ श्रीराम व लक्ष्मण उनके आश्रम की तरफ चल देते हैं, तो रास्ते ताडक़ा दिखती है, तो श्रीराम विश्वामित्र से पूछते हैं कि ये भयानक शरीर वाली कौन हैं तो विश्वामित्र बताते हैं कि यह ताडक़ा राक्षसी है जो साधु-संत को पकडक़र खा जाती है। इसलिए इसका वध करो, तो श्रीराम ताडक़ा का वध करते हैं। फिर आश्रम पर पहुंचकर विश्वामित्र के यज्ञ को प्रारंभ कराते हैं।