सावन माह 2023 (Sawan Somvar 2023)
Sawan Somvar 2023 : हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की अराधना के लिए बेहद खास होता है। इस वर्ष सावन के माह में बहुत ही खास संयोग बन रहा है। क्योकि, इस बार सावन माह 59 दिनों का होने वाला है।
जिसमें भगवान शिव के भक्तों को अराधना के लिए 4 नहीं बल्कि 8 सोमवार मिलेंगी। इस वर्ष सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और समापन 31 अगस्त को होगा।
Sawan Somvar 2023 : क्यों बन रहा अद्भुत संयोग ?
सावन माह (Sawan Somvar 2023) में बहुत ही अद्भुद संयोग बन रहा है, वैदिक पंचांग की गणना, सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है। चंद्र मास 354 दिनों का होता है। वहीं सौर मास 365 दिनों का होता है। दोनों में करीब 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है।
सावन सोमवार की तिथि (Sawan Somvar Date)
Sawan Somvar 2023 | Date |
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पहला सोमवार | 10 जुलाई 2023 |
दूसरा सोमवार | 17 जुलाई 2023 |
तीसरा सोमवार | 24 जुलाई 2023 |
चौथा सोमवार | 31 जुलाई 2023 |
पांचवा सोमवार | 07 अगस्त 2023 |
छठा सोमवार | 14 अगस्त 2023 |
सातवां सोमवार | 21 अगस्त 2023 |
आठवां सोमवार | 28 अगस्त 2023 |
Sawan Somvar 2023 का महत्व
हिन्दू धर्म में सावन सोमवार (Sawan Somvar 2023) का अधिक महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार, सावन शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोमनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन व्रत करने से सभी कार्य बनने लगते हैं और सारी समस्याएं दूर होती हैं।
जो कन्याएं मनोवांछित वर पाना चाहती हैं, इस व्रत को करने के बाद उन्हें उनकी इच्छा अनुसार वर मिलता हैं और विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।
Sawan Somvar 2023 : भगवान शिव की 10 प्रिय वस्तुं और उनके लाभ
प्रिय वस्तु | लाभ |
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गंगाजल | शिवलिंग पर का गंगा जल से अभिषेक करने पर घर में सुख-समृद्धि आती है। |
केसर | शिवलिंग पर केसर से अभिषेक करने पर विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। |
गन्ने का रस | गन्ने के रस से अभिषेक करने से घर और जीवन में चल रहीं आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है। |
इत्र | शिवलिंग पर इंत्र छिड़काव से मानसिक तनाव दूर होता है। |
दूध | शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। |
दही | शिवलिंग पर दही चढ़ाने से कार्यों में आने वाली सारी रूकाबटें दूर होती हैं। |
घी | घी से भगवान शिव का अभिषेक करने से अच्छी सेहत मिलती है। |
चंदन | चंदन का लेप लगाने से सुख और शांति बनी रहती है। |
शहद | समाज में मान-सम्मान के लिए शहद से करें शिललिंग का अभिषेक करें। |
भांग | कष्टों और बीमारियों से बचने के लिए भांग करें अर्पित करें। |
Sawan Somvar 2023 : भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्र का करे जाप
- ॐ नमः शिवाय
- प्रौं ह्रीं ठः
- ऊर्ध्व भू फट्
- इं क्षं मं औं अं
- नमो नीलकण्ठाय
- ॐ पार्वतीपतये नमः
- ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
- ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
- ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नमः ॐ
सावन सोमवार पूजन-सामग्री (Sawan Somvar 2023 Pooja Samagri)
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, कुशासन, दही, दूध शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, कपूर, धूप, दीप, रूई, भगवान शिव और माता पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
सावन सोमवार पूजन विधि (Sawan Somvar Puja Vidhi)
- Sawan Somvar 2023 के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- सुबह प्रात: मंदिर में जाकर शिवलिंग का रुद्राभिषेक करना चाहिए।
- रुद्राभिषेक के लिए गंगाजल, दूध, दही, घी, शक्कर, आदि को सामग्री में शामिल करें।
- फिर शिवलिंग पर चंदन का तिलक करें और मोली, पुष्म, बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल, कपूर, फल आदि अर्पित करें।
- धूप, दीप, फल और फूल चढ़ाकर भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण करे और भगवान शिव की कथा कर आरती करें।
- इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाकर प्रसाद बाटेंं।
सावन माह के नियम (Sawan month rules)
- सावन से में आने वाले सभी सोमवार का व्रत कर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
- सावन माह मे मासाहारी भोजन एवं मदिरा का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- सावन माह मे प्याज, लहसुन का भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
- सावन माह में भगवान शिव की अराधना सच्चे मन से करनी चाहिए। और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
सावन सोमवार व्रत कथा (Sawan Somvar Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, किसी जंगल में गुरुद्रुव नाम का शिकारी रहता था, जो अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए जंगली-जानवरों का शिकार करता था। एक दिन सावन सोमवार के दिन जब गुरुद्रुव शिकार के लिए गया तो उसे एक भी शिकार नहीं मिला।
जिससे वह पूरा दिन भूखा रहा जिसके कारण उसका सावन सोमवार का व्रत पूर्ण हो गया। सूर्यास्त होने पर वह एक तलाब के पास गया और थोड़ा पानी लेकर बेलपत्र के पेड पर बैठ गया उसे उम्मीद थी कोई न कोई शिकार उसे जरूर मिलेगा।
उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग रखा था, जो बेलपत्र से ढका होने के कारण उसे दिख नहीं पा रहा था। कुछ समय बीतने बाद उसने दिखा की एक हिरणी वहां पानी पीने के लिए आया हैं उसे देखते ही शिकारी ने अपने धनुष पर बाण लगाया।
ऐसा करने से कुछ बेलपत्र और जल की कुछ बुँदे नीचे शिवलिंग पर गिर गई और अनजाने में शिकारी के हाथ से भगवान शिव की पूजा हो गयी। तभी पत्तों की आवाज़ से हिरणी ने जब ऊपर देखा तो कांपते हुऐ शिकारी से बोली मुझे मत मारो। शिकारी बोला मैं और मेरा परिवार भूखा हैं, इसलिए तुम्हें नहीं छोड़ सकता।
तभी हिरणी शिकारी से बोली मेरे भी छोटे-छोटे बच्चे हैं जो मेरा वापस लौटने का इंतजार कर रहे हैं। मैं उन्हें पहले अपने पति के पास छोड आऊं फिर तुम मुझे मार देना मैं जल्दी ही लौट आउंगी और विशवास दिलाने के लिए बौला अगर लौट कर नही आऊं तो मुझे वह पाप लगे जो विश्वासघाती को लगता हैं।
हिरणी के विश्वास दिलाने पर शिकारी ने उसे जाने दिया और हिरणी वहां से चली गई। थोडी देर बाद शिकारी ने देखा कि एक मोटा-ताजा हिरण जल पीने वहां आया हैं उसने फिर से अपने धनुष पर बाण लगया और फिर से अनजाने में पेड़ से कुछ जल और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ गए इस प्रकार शिकारी की दूसरे पहर की पूजा भी हो गयी।
धनुष पर बाण चढ़ा देख हिरण ने पूछा यह तुम क्या कर रहे हो मैं घर पर अपने बच्चों को छोड़ कर आया हूँ। मुझे इतना समय दे दो कि मैं अपने बच्चों को पानी पिलाकर लौट आऊं तुम मुझ पर विश्वास रखो शिकारी ने हिरण को जाने दिया हिरण जल पीकर वहां से चला गया।
अब दोनों हिरण घर जाकर जब इकठ्ठा हुए तो उनके साथ हुई घटना एक दूसरे को सुनाते हुए बोले हमें जल्द ही शिकारी के पास लौटना हें। अपने बच्चों को समझाकर जब वह चलने को तैयार हुए तो हिरणी बोली मैं शिकारी के पास जाउंगी आप बच्चों का ख्याल रखना इस पर हिरण बोला माँ के सिवाय बच्चों को कोई भी नहीं संभाल सकता तुम यहीं रहो मैं शिकारी के पास जाऊंगा।
तब हिरणी बोली- पति के बिना पत्नी का कैसा जीवन आप की मृत्यु के बाद मैं कैसे जीवित रह पाउंगी मैं वहां जाऊंगी। तभी वह दोनों बच्चों को समझाकर वहां से चल दिये जब बच्चों ने देखा कि माता-पिता जा रहे हैं तो हम क्या करेंगे, तब वे भी उनके साथ चल दिए।
वे सभी शिकारी के पास पहुंचे उन्हें देखकर शिकारी ने झट से धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे फिर से कुछ बेलपत्र और जल शिवलिंग पर चढ़ गया जिससे शिकारी के तीसरे पहर की पूजा भी हो गयी। जिससे कारण शिकारी के सभी पाप मिट गये और उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई।
हिरण ने कहा हम सभी आ गये हैं आप हमे मार कर अपने परिवार की भूख मिटाए तब भगवान शंकर की कृपा से प्राप्त ज्ञान द्वारा शिकारी सोचने लगा कि मुझसे तो यह अज्ञानी पशु ज्ञानी हैं जो कि परोपकार परायण होकर अपना शरीर दे रहे हैं और मैं मनुष्य होकर भी हत्या कर रहा हूँ।
यह सोचकर शिकारी बोला तुम सभी धन्य हो तुम्हारा जीवन सफल हैं जाओ मैं तुम्हें नहीं मारूगा। शिकारी के यह कहते ही स्वयं भगवान शिव वहां प्रकट हुए और बोले मैं तुमसे प्रसन्न हूँ मनचाहा वर मांगो।
यह सुनकर शिकारी भगवान शिव के चरणों पर गिर कर रोने लगा तभी भगवान शिव ने उसे सुख-समृद्धि का वरदान देकर गुरु नाम प्रदान दिया।
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