- चुनावी शोरगुल से भी है मतदाताओं को काफी राहत
– रोहित नागे, इटारसी :
लोकतंत्र के पर्व के बीच दीवाली पर्व भी मनाया जाएगा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान के लिए केवल दस दिन का अल्प समय शेष है। नर्मदापुरम विधानसभा की बात की जाए तो इतना शांत, बिना शोरगुल वाला चुनाव शायद ही कभी देखा हो। ज्यादा चिल्लपों नहीं, मतदाताओं से सीधे संपर्क में विश्वास रखते हुए प्रत्याशी अपना प्रचार अभियान आगे बढ़ा रहे हैं।
कोई बड़ी सभा की अभी कोई सूचना भी नहीं है। अलबत्ता दोनों दलों ने छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं को ही प्रचार का प्रमुख माध्यम बनाया है। प्रत्याशी सीधे मतदाताओं के द्वार पहुंच रहे हैं, कार्यकर्ता नुक्कड़ सभाएं ले रहे हैं। कुल जमा देखा जाए तो प्रत्याशी मैदान में हैं, बिना किसी पर आरोप-प्रत्यारोप के केवल अपने लिए वोट की अपील कर रहे हैं। चुनाव कार्यकर्ता लड़ रहा है।
मुकाबले में तीन कोण हैं। निर्दलीय भगवती प्रसाद चौरे हालांकि राजनीति शुद्धिकरण मंच का नाम लेकर अन्य समाजों को साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है कि वे कुर्मी समाज के भरोसे ज्यादा हैं। इस लिहाज से देखें तो पहली बार इन चुनावों में जातिवाद का सहारा लेकर कोई प्रत्याशी मैदान में उतरा है। वे चाहें भी तो इससे अलग नहीं हो सकते क्योंकि जितने भी उनके समर्थक हैं, वे इसी जाति से आते हैं और खुलकर जातिवाद का सहारा लेकर प्रचार कर रहे हैं।
चुनावों में आज का दिन छोड़कर 10 दिन बाकी हैं, 11 वे दिन मतदान है। सड़कों पर जिस तरह से कानफोड़ू प्रचार होता रहा है, उससे इस बार राहत है। दिन में चार-चार चक्कर लगाकर शोर करने वाले प्रचार वाहन अब एकाध बार आ रहे हैं। चुनावों में जिस तरह से पहले तरकस से सारे तीर निकल आते थे, कोई ब्रह्मास्त्र चलाता था तो कोई शब्दभेदी बाण से संधान करता था, उसका अभाव लग रहा है। इसके पीछे एक बड़ा कारण दोनों प्रमुख दलों से सगे भाईयों के आमने-सामने होना माना जा रहा है। ये अपनी पार्टी की नीतियां बताकर विपक्षी पार्टी की खामियां गिना रहे हैं, लेकिन व्यक्तिगत किसी भी प्रकार के आरोप से बच रहे हैं।
फिलहाल सबकुछ सामान्य तरीके से चल रहा है और मतदाता भी दीवाली की तैयारी में जुटा है। राजनैतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता फिलहाल अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान के लिए विनय कर रहे हैं, रूठों को मनाने का वक्त नहीं है, पार्टी के आलानेताओं के पास इसकी कमान है। अंतिम समय तक जो भी मान जाए, यह बोनस होगा।
फिलहाल नर्मदापुरम विधानसभा के रूठे भाजपायी सोहागपुर विधानसभा में काम करते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में नर्मदापुरम में भाजपा में भितरघात नहीं होगा, इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है। हालांकि यह भाजपा ही नहीं कांग्रेस में भी कमोवेश यही स्थित हो सकती है। हालांकि बयानों में तो कांग्रेस से एकजुटता के दावे मिल रहे हैं।
सच का सामना, तब होगा जब 3 दिसंबर को ईवीएम मिलने वाले मतों की संख्या बताएगी। फिलाहल मतदान में 11 और इसके बीच दिन बाद मतगणना है। इन्हीं 11 दिन की अवधि के बीच भगवान राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले पर्व दीपावली को मनाया जाएगा। आतिशबाजी होगी और खुशियां मनेंगी। दीपों के पर्व के पांच दिन बाद लोकतंत्र का पर्व मनाया जाएगा।
इस विधानसभा चुनाव की खास बात यह कि दीपावली की खुशियां मनाने का मौका हर राजनैतिक दल के नेताओं को मिलेगा। दीपावली के 20 दिन बाद चुनाव में जीत-हार का फैसला आएगा।

रोहित नागे, इटारसी
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