इटारसी। प्रथम अपर सत्र न्यायालय इटारसी ने आरोपी सोनू और आकाश कुचबंदिया पिता धीरज लाल उम्र 34 वर्ष निवासी 18 बांग्ला इटारसी को फरियादी भवानी शंकर के साथ अड़ीबाजी कर रुपए की मांग करने एवं उसे गंभीर चोट का रित करने का दोषी पाते हुए धारा 329 भारतीय दंड विधान के तहत सिद्धदोष पाते हुए 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा एवं ₹1000 के अर्थदंड से दंडित किया है ।
अर्थ दंड अदा नहीं करने पर आरोपी को दो माह का अतिरिक्त साश्रम कारावास और भुगताया जावेगा ।आरोपी सोनू कुचबंदिया 18 जून 21 से 30 जून 21 तक जेल में निरुद्ध रहा है, अतः सजा की अवधि में से न्यायिक निरुद्ध की अवधि मुजरा की जाएगी ।प्रकरण में पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक राजीव शुक्ला ने बताया कि फरियादी भवानी शंकर 7 जून 21 को शाम 5:30 बजे मटन मार्केट इटारसी में था तभी ऑटो चलाने वाला सोनू कुचबंदिया आया और शराब पीने के लिए 1000 रुपए उसे मांगने लगा। फरियादी ने जब रुपए देने से इनकार किया तो आरोपी ने उसे मां बहन की गालियां दी जो आसपास वालों ने सुनी। फरियादी ने रुपए देने से मना किया था और गाली देने से भी मना किया तब आरोपी ने अपने हाथ में रखा हुआ डंडा उसे मारा जिससे भवानी शंकर की बाएं हाथ की कलाई में और पीट में चोटें आई थी।
आरोपी जाते हुए बोलकर गया था कि यदि तूने थाने जाकर रिपोर्ट की तो तुझे जान से खत्म कर दूंगा। तब फरियादी की रिपोर्ट पर आरोपी के विरोध भारतीय दंड विधान की धारा 294 506 329 का अपरा ध थाना इटारसी में पंजीबद किया गया था । प्रकरण में अभियोजन की ओर से एजीपी एसएन चौधरी ने जीपी राजीव शुक्ला के साथ मिलकर 6 अभियोजन साथियों का परीक्षण कराया था तथा अभियोजन की ओर से 6 दस्तावेजों को प्रदर्शित किया गया था न्यायालय ने संपूर्ण प्रकरण का परिसिलान करने के बाद अपने निर्णय में लिखा है कि आरोपी के द्वारा किसी प्रकार का कोई बचाव अपने हित में नहीं दिया गया था एवं फरियादी के मेडिकल परीक्षण में आई हुई चोटों तथा उसके कथनों पर विश्वास करते हुए आरोपी को धारा 329 भारतीय दंड विधान के तहत सिद्ध दोष पाया जाना यह अदालत उचित समझ ती है।
आरोपी पूर्व से जमानत पर था अतः उसके जमानत मुचल के निरस्त करते हुए सजा वारंट से सजा के लिए हेतु केंद्रीय जेल होशंगाबाद भेज दिया गया है। निर्णय के समय आरोपी न्यायालय में ही दिनभर उपस्थित रहा था। इस संपूर्ण प्रकरण की पैरवी ए जीपी राजीव शुक्ला, एजीपी एसएन चौधरी एवं एजीपी भूरेसिंह भदोरिया ने संयुक्त रूप से की थी।