सिवनी मालवा। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। यह बात कथावाचक पंडित विद्याधर उपाध्याय (Pandit Vidyadhar Upadhyay) ने श्रीमद भागवत कथा (Shrimad Bhagwat Katha)में ध्रुव चरित्र की कथा को सुनाते हुए समझाया। उन्होंने कहा कि ध्रुव (Dhruva) की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति (Suniti) ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया।
शिवपुर अर्चनागांव (Shivpur Archanagaon) में श्रीमद्भागवत कथा वाचक ने विभिन्न प्रसंग सुनाए। पंडित उपाध्याय ने भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं होती। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है।
प्रह्लाद (Prahlad) चरित्र के बारे में विस्तार से सुनाया और बताया कि भगवान नृसिंह (Lord Narasimha) रूप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप (Hiranyakashyap) का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। महाभारत रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सद्कर्म करते रहना चाहिए सत्संग हमें भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
कथा आयोजन समिति के जगदीश प्रसाद मालवीय (Jagdish Prasad Malviya) और सूरज मालवीय (Suraj Malviya) ने बताया कि कथा के दौरान सुमधुर भजनों की प्रस्तुति हुई। जिसका श्रद्धालुओं ने आनंद लिया। आज रविवार को भगवान श्री कृष्ण के जन्म लीलाओं का आकर्षक ढंग से प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। कथा में सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित होकर कथा लाभ ले रहे हैं।