नर्मदापुरम। वीणा पाणि संगीत एवं सामाजिक संस्था ने ध्रुपद गायन शैली की वर्कशाप को आयोजित की। संचारी संगीत परिवार के छात्र छात्राओं ने राग भैरव में गणेश वंदना तुम हो गणपते देव, बुद्धि के दाता, बंदिश चारताल में ध्रुपद गायन की प्रस्तुति से इस कार्यशाला का प्रारंभ हुआ।
इस गायन को प्रस्तुति में मुख्य प्राण कृष्ण साई, कु सिद्धा साई हरमोनियम संगत आदित्य परसाई, आकाश जैन सुर मंडल पर एवं तबला संगत घनश्याम चौधरी ने दी। गणेश वंदना के पश्चात ध्रुपद गायन की कार्यशाला प्रारंभ ही इसे श्रीमती सुरेखा ने बताया कि ध्रुपद भारतीय शास्त्रीय संगीत की अत्यंत प्राचीनतम गायन शैली है, जो ‘ध्रुव’ और ‘पद’ को मिलाकर बनी है। ध्रुपद में देवी-देवता और संतों की स्तुतियां गाई जाती हैं। ध्रुपद की उत्पत्ति सामवेद से है। सामवेद संगीत के लिए समर्पित वेद है। ध्रुपद का आधार ओम है। ध्रुपद में सांस के नियंत्रण को लेकर काफी जोर दिया जाता है।
भोपाल से आयी सुरेखा कामले ने छात्र छात्राओं को बताया कि ध्रुपद 12 मात्र में ही नहीं बल्कि पांच, सोलह, आठ मात्राओं में भी गायी जाती हैं। ध्रुपद गायन शैली में मुख्यता वन्दनायों का गायन होता है, उन्होंने बताया की ध्रुपद गायकी में स्वरों का विस्तार, आलाप किस प्रकार से किया जाता हैं यह जानकारी विस्तार से बताई। बच्चों को राग आशावरी में बंदिश आन सुनाई बांसुरी, कान्हा ने सुलताल में एवं राग यमन की ध्रुपद चौतल में सिखाई।
इसी श्रृंखला में ग्वालियर से आये पखावज वादक जयंत गायकवाड़ द्वारा पखावज की बेसिक जानकारी दी, उन्होंने बताया शास्त्रीय संगीत में ध्रुपद अंग की गायकी अत्यंत प्राचीन गायन शैली है, और जिस प्रकार शास्त्रीय संगीत में तबले का महत्व हैं, वैसा ही ध्रुपद में पखावज का, ध्रुपद गायन के साथ पखावज वाद्य से ही संगत की जाती है, पखावज की ताल मुख्य तालों में चारताल, सुलताल, तिवरा मुख्य रूप से संगत में प्रयुक्त होती हैं। साथ ही पं. रामसेवक शर्मा के शिष्य मयंक गोस्वामी एवं मास्टर घनश्याम चौधरी द्वारा तबला पर स्वतंत्र वादन की प्रभावी प्रस्तुति दिया गई।
एन ई एस कॉलेज से संजय गार्गव, मुकुंद दुबे, वीणा पाणि संस्था परिवार के मार्गदर्शक राजेश कुलश्रेष्ठ, रामसेवक शर्मा, राम परसाई, ओपी शर्मा, डॉ नमन तिवारी, प्राण कृष्ण साई, राकेश दुबे, राजपाल चड्ढा, श्रीमती अनिता साई, वैशाली तिवारी, ऋतु कुलश्रेष्ठ,श्रीमती कोमल तायडे, श्रवणी तिवारी, रित्विक राजपूत, विशाल सागर, ऋषभ योगी विपुल दुबे, राजाराम चौधरी, विद्यार्थी बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे। संचालन एवं आभार प्रदर्शन संस्था अध्यक्ष आनंद नामदेव द्वारा किया।