महर्षि गुरुकुल आश्रम जमानी में कल मनेगा स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान दिवस

महर्षि गुरुकुल आश्रम जमानी में कल मनेगा स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान दिवस

इटारसी। महर्षि गुरुकुल आश्रम जमानी (Maharishi Gurukul Ashram Zamani) में 23 दिसंबर को स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती (Swami Shraddhanand Saraswati) का बलिदान दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान सुबह 11 से दोपहर 1 बजे के मध्य गुरुकुल में हवन, बच्चों के वेदमंत्र, भजन, गीत प्रस्तुति और स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर उद्बोधन होंगे।

बता दें कि स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती भारत (India) के शिक्षाविद्, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा आर्य समाज के सन्यासी थे। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती (Swami Dayanand Saraswati) की शिक्षाओं का प्रसार किया। उन्होंने अपना जीवन स्वाधीनता, स्वराज्य, शिक्षा तथा वैदिक धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय (Gurukul Kangri University) आदि शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की और हिन्दू समाज व भारत को संगठित करने तथा 1920 के दशक में शुद्धि आन्दोलन चलाने में महती भूमिका अदा की। डॉ भीमराव आम्बेडकर ( Dr. Bhimrao Ambedkar) ने सन् 1922 में कहा था कि श्रद्धानन्द अछूतों के महानतम और सबसे सच्चे हितैषी हैं।

महर्षि दयानन्द के महाप्रयाण के बाद उन्होंने स्वयं को स्व-देश, स्व-संस्कृति, स्व-समाज, स्व-भाषा, स्व-शिक्षा, नारी कल्याण, दलितोत्थान, स्वदेशी प्रचार, वेदोत्थान, पाखंड खंडन, अन्धविश्वास-उन्मूलन और धर्मोत्थान के कार्यों को आगे बढ़ाने में पूर्णत: समर्पित कर दिया। उन्होंने पत्रकारिता में भी कदम रखा। वे उर्दू और हिन्दी भाषाओं में धार्मिक व सामाजिक विषयों पर लिखते थे। बाद में स्वामी दयानन्द सरस्वती का अनुसरण करते हुए उनने देवनागरी लिपि में लिखे हिन्दी को प्राथमिकता दी।

उनका पत्र सद्धर्म प्रचारक पहले उर्दू में प्रकाशित होता था और बहुत लोकप्रिय हो गया था, किन्तु बाद में उनने इसको उर्दू के बजाय देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी में निकालना आरंभ किया। 23 दिसम्बर 1926 को नया बाजार स्थित उनके निवास स्थान पर अब्दुल रशीद नामक एक उन्मादी धर्म-चर्चा के बहाने उनके कक्ष में प्रवेश करके गोली मारकर इस महान विभूति की हत्या कर दी। उसे बाद में फांसी की सजा हुई।

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AUTHORRohit

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