भारतीय न्याय संहिता को इंग्लिश में भी यही लिखना और कहना होगा

Post by: Rohit Nage

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The Indian Judicial Code will have to be written and said in the same way in English.

भारतीय न्याय संहिता का भारतीयकरण, भारतीय न्याय संहिता का अवलोकन व आंतरिक सुरक्षा और रोजगार के अवसर एवं भारतीय न्याय संहिता पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया।

भोपाल। भारत सरकार (Government of India) ने राजद्रोह को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है और इसके स्थान पर ऐसे कृत्य जिससे भारत (India) की एकता, अखण्डता और संप्रभुता पर विघटनकारी विचारधारा से खतरा कारित हो जैसे प्रावधान सम्मिलित किया है। क्योंकि भारत में लोकतंत्र है और सबको बोलने का अधिकार है।

पहले आतंकवाद की कोई व्याख्या ही नहीं होती थी, लेकिन अब अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववाद, भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने जैसे की पहली बार इस कानून में व्याख्या की गई है और इससे जुड़ी संपत्तियों को ज़ब्त करने का अधिकार भी दिया है।

राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय गांधी नगर (National Defense University Gandhi Nagar), गुजरात (Gujarat) के एडजंक्ट प्रो वीसी डॉ आनंद कुमार त्रिपाठी (Dr. Anand Kumar Tripathi) ने भोपाल (Bhopal) में एमपी पोस्ट के दो दशक पूरे होने के अवसर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (Makhanlal Chaturvedi National University of Journalism and Communication), एलएनसीटी यूनिवर्सिटी (LNCT University) और सेज यूनिवर्सिटी (Sage University) में विशेष शृंखला के अंतर्गत आयोजित विशेष व्याख्यान में यह बात कही।

भारतीय संस्कृति न्याय संहिता का आधार है, भारतीय न्याय संहिता पर एमसीयू के जनसंचार विभाग में विशेष व्याख्यान में डॉ आनंद त्रिपाठी ने भारतीय वांग्मय के कई ग्रंथों, गीता, रामचरित मानस और आधुनिक रचनाकारों जैसे मैथिली शरण गुप्त आदि की रचनाओं का उदाहरण रखते हुए मौजूदा न्याय संहिता के कई कानूनों का जिक्र किया। उन्होंने बहुत रोचक अंदाज में भारतीय न्याय संहिता को केन्द्र में रखकर अपनी काव्य रचना के अंश का पाठ भी किया।

उन्होंने कहा कि बहुत सरल भाषा में संहिता के नियमों को आम लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। वरिष्ठ पत्रकार सरमन नगेले (Sarman Nagele) ने विषय की पूर्वपीठिका रखते हुए छात्रों से संवाद के दौरान उन्हें डिजिटल मीडिया में जर्नलिज्म की संभावनाओं और आवश्यक स्किल्स की जानकारी दी, उन्होंने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए संसदीय रिपोर्टिंग और इलेक्शन जर्नलिज्म के मुख्य पहलुओं की जानकारी देते हुए सूचना की प्रामाणिकता पर ध्यान देने का सुझाव दिया।

डॉ त्रिपाठी ने वर्तमान समय में उठ रहे कानूनी समस्याओं पर विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। विभागाध्यक्ष डॉ आरती सारंग (Dr. Aarti Sarang) ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ प्रदीप डेहरिया (Pradeep Dehariya) ने किया। विभाग के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ लाल बहादुर ओझा (Dr. Lal Bahadur Ojha) ने आभार प्रदर्शन किया। इस मौके पर विभाग के प्राध्यापक आईआईएमसी के पूर्व डीजी प्रोफेसर संजय द्विवेदी (Professor Sanjay Dwivedi) सहित समस्त संकाय सदस्य और विद्यार्थी मौजूद रहे।

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