सोलह श्रंगार के साथ सजना है, सजनी को सजना के लिए

सोलह श्रंगार के साथ सजना है, सजनी को सजना के लिए

  • चन्द्र दर्शन 8:21 बजे, सजना द्वारा नारियल पानी से सजनी का व्रत समापन होगा
  • व्यतिपात, भद्र, हंस, शश योग में, पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:01 से 07:15 मिनट तक

कार्तिक कृष्ण पक्ष (Kartik Krishna Paksha) गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) करवाचौथ (Karva Chauth) का निर्जला व्रत गुरूवार 13 अक्टूबर को त्रिग्रही योग बना है। मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी पं.रामजीवन दुबे ने बताया कि कन्या राशि में सूर्य, बुध और शुक्र साथ हैं। व्यतिपात योग के साथ भद्र, हंस, शश योग रहेंगे। रोहणी नक्षत्र का योग पांच वर्ष के बाद बना है। रात्रि 8:21 बजे छलनी द्वारा चंद्र दर्शन करके महिलाएं पति की पूजा करेंगी। पति द्वारा गिलास में लाए गए नारियल पानी (Coconut water) को पीकर धर्म पत्नी के व्रत का समापन होगा। सोलह श्रंगार करके पूजा की जाएगी। श्रंगार और पूजा सामग्री का क्रय आज से प्रारंभ हो जावेगा।

कथा: प्राचीन काल में एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अध्र्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दु:ख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम अध्र्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अध्र्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा-बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अत: उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोडऩा। ऐसा कह कर वह चली जाती है। सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है। अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।
करवा चौथ के लिए एक दिन पहले से महिलाएं महंदी लगाती हैं। महिलाएं साड़ी, चूड़ी, टीकी, नाखुन पालिश राशि के हिसाब से रंग जो बताए हैं। वह निम्नलिखित हैं।

  • – मेष राशि गोल्डन रंग, वृषभ राशि सिल्वर रंग, मिथुन राशि हरा रंग, कर्क राशि लाल रंग, सिंह राशि वालों के लिए लाल रंग, कन्या राशि लाल, हरी या गोल्डन रंग, तुला राशि लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग, वृश्चिक राशि महरून या गोल्डन रंग, धनु राशि आसमानी या पीले रंग, मकर राशि नीला रंग, कुंभ राशि सिल्वर कलर, मीन राशि पीले या गोल्डन रंग।
    पूजा सामग्री: मिट्टी का करवा, छलनी, सिंदूर, तांबे का लोटा और गिलास, आंटे का दीपक जलाने के लिए शुद्ध घी, कपास, चावल, मिठाई और फल, सुहाग सामग्री (चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, काजल, आलता, नेल पॉलिश, कंघी, मेहंदी और चुनरी), कांस की तीलियां, कुमकुम, कपूर।
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AUTHORRohit

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