अपने को ज्ञानवान बनाने का प्रयास करें, दुखों से बच सकते
– मालवीयगंज में मधुर मिलन सेवा समिति की श्रीमद् भागवत कथा
इटारसी। सरस्वती स्कूल के पास मालवीयगंज में मधुर मिलन सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सत्संग में कथावाचक पंडित भगवती प्रसाद तिवारी ने कहा कि मनुष्य का शरीर का उद्देश्य सारे दुख से सदा के लिए छुटकारा पाना है।
इस संसार में प्रत्येक मनुष्य मात्र के जीवन में कोई न कोई दु:ख, विपदा, समस्या आती ही है।
इसलिए हर समस्या का समाधान सत्संग, सतज्ञान, सत्कर्मों से होता है। सच्चे साधु, संत, सतगुरू, सद्ग्रंथ हमें दिव्य मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। समस्या तो इस पृथ्वी पर श्री राम, श्री कृष्ण, अवतारी महापुरुष को भी सामना करना पड़ा था। सुमरण, सत्कर्म, सेवा से परमात्मा की शक्ति प्राप्त होती है। भोग में क्षणिक सुख, त्याग में अनंत सुख प्राप्त होता है।
शुकदेव मुनि जी ने सम्राट परीक्षित जी को कहा संसार में मनुष्य अपनी अज्ञानतावश कामनाओं की पूर्ति ना होने पर दुखी, अशांत, चिंता, भय, शोक में जीवन-यापन करता है। अप्राप्त वस्तुओं के चिंतन में जो कुछ प्राप्त मिला हुआ है, वह पसंद नहीं आता है, ऐसा मकान चाहिए, इतना धन चाहिए, ऐसा परिवार, पति, पत्नी, पुत्र चाहिए, ऐसा भोजन, वस्त्र, गाड़ी चाहिए।
अनेक इच्छाओं को लेकर दुखी जीवन बिता रहा है तो चाहिए सब कुछ अच्छा-अच्छा लेकिन परमात्मा के विधान में और आपकी योग्यता, पुरूषार्थ के अनुसार ही मिलता है तो अब जो कुछ मिला हुआ है वह आपको संतोष नहीं दे रहा है, और जो नहीं मिला है।
उसको सोच-सोच करके जो मिल गया है, सामने है उसका भी तुम्हें सुख नहीं मिल रहा है और परेशान हो रहे हो, तो होते रहो परेशान, दुखी ये अपनी अज्ञानतावश हो रहा है। आज कोई किसी को कटु, खोटा, बुरा वचन बोल देता है तो कलेजा फट जाता है। अपने को ज्ञानवान बनाने का प्रयास करें तभी हम सब दुखों से बच सकते हैं।