वन्य जीव संरक्षण हेतु घाट सेक्शन में तीसरी लाइन पर बनाये जा रहे अंडर/ओवर पास

Post by: Poonam Soni

जानवरों को पानी पीने के लिए डैम एवं जल भंडार का निर्माण

इटारसी। वन्य क्षेत्र (Forested area) से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर जंगली जानवरों को आने से रोकने के लिए रेल प्रशासन द्वारा विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में भोपाल मंडल के बरखेड़ा से बुदनी (घाट सेक्शन) के मध्य निर्माणाधीन 26.50 किलोमीटर रेल लाइन तिहरीकरण खंड पर 05 सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। वन्य जीव संरक्षण (wildlife Reserve) हेतु इस लाइन पर 05 ओवर पास, 20 अंडर पास एवं वन्य जीवों को पानी पीने के लिए 06 डैम का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा एक जल भंडार, जिस पर सौर ऊर्जा से संचालित बोरवेल रेलवे ने लगाया है। पर्यावरण संरक्षण हेतु टनल के आसपास सघन पौधरोपण किया है।

ओवरपास निर्माण में तेजी के निर्देश
यह लाइन दिसंबर 2022 तक चालू हो जाने के लिए प्रस्तावित है। इस लाइन के बन जाने से इटारसी से बीना तक तीसरी लाइन का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इस लाइन के चालू हो जाने से गाडिय़ों की गति बढऩे के साथ ही क्षेत्र की प्रगति होगी। हाल में रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से टकराने से हुई वन्य प्राणियों की मृत्यु को देखते हुए पश्चिम मध्य रेल प्रबंधन ने आरवीएनएल को इस ओवर पास आदि का निर्माण तेज गति से संपन्न करने को कहा है। वन विभाग से हुई बैठक के निर्णय के अनुसार, ट्रैक के किनारे प्रस्तावित फैंसिंग बनाने हेतु निधि उपलब्ध करने के लिये पुन: स्मरण कराया है। हाल में इस विषय पर किसी प्रकाशन ने जानवरों की मृत्यु का कारण पैंट्री कार से खाना फेंका जाना बताया है।

कोरोना काल में बंद है पेन्ट्रीकार में खाना बनाना
रेलवे ने कहा है कि रेलवे की पैंट्रीकारों में गत वर्ष कोरोना की वजह से खाद्य पदार्थ बनाने का काम बंद कर दिया था, जो अब भी बंद है। रेल प्रबंधन ने इस विषय पर यह चिंता जतायी है कि वन्य प्राणियों के साथ साथ मवेशियों की ट्रैक पर आ जाने से उनके ट्रेन से आहत होने की अत्याधिक घटनायें हो रही हैं। इससे ना सिर्फ पशुधन का नुकसान हो रहा है, बल्कि रेल संरक्षा और समयबद्धता भी प्रभावित हो रही है। रेल्वे ने इस बारे में गांव-गांव में जागरूकता अभियान भी चलाया है और राज्य प्रशासन से हुई गत समन्वय बैठक में भी यह मुद्दा उठाया था। रेल पथ पर आवारा पशुओं को छोड़ देना क़ानूनन अपराध भी है।

डीआरएम ने जतायी चिंता
मंडल रेल प्रबंधक (Divisional Railway Manager) ने इस बात पर चिंता जतायी है कि ऐसे हर हादसे के बाद जिसमें किसी जीव को चलती ट्रेन से चोट लगती है या जान जाती है, ट्रेन के चालक को स्वयं ट्रैक क्लियर करना पड़ता है और यह शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत तकलीफ़देह होता है। कई चालकों ने कहा है कि प्राणी ट्रेन की चपेट में आने से आहत होने के दृश्य से उन्हें कई दिनों तक मानसिक अशांति सहन करनी पड़ती है। अत: वन्य तथा सभी प्राणियों को रेल पटरी से दूर रखने के लिए संबंधित विभागों को त्वरित कार्यवाही करनी चाहिये और वन में जहां यह घटनाएं हो रहीं हैं वहां वन विभाग को गश्त का प्रबंध करना चाहिये। चूंकि अधिकांश घटनाएं रात को या सुबह तड़के हो रही हैं, इस समय पर वन के इन चुनिंदा क्षेत्रों में विशेष रूप से नजऱ रखी जा सकती है।
ज्ञात हो कि घाट में कठिन परिस्थितियों की वजह से ट्रेनों की अधिकतम गति 70 किमी प्रति घंटा होती है और ट्रेनों के चालक यहां विशेष सावधानी से ट्रेन का संचालन करते हैं। साथ ही रेलवे ट्रैक अनुरक्षक दिन और रात, बारहों महीने जान जोखिम में डालकर ट्रैक पर पट्रोलिंग करते हैं और वन्य प्राणियों के आस पास होने की परिस्थिति में उनकी सुरक्षा की भी चिंता का विषय है। अत: इन सब मुद्दों पर उचित कार्यवाही हेतु आरवीएनएल तथा अन्य सम्बंधित विभागों से कार्यवाही के लिए कहा गया है।

 

Leave a Comment

error: Content is protected !!