इटारसी। केसला सोयायटी से रात 10:30 बजे खाद उठाव का मामला राजनीति रंग ले रहा है। ताकू से जनपद सदस्य विजय कांवरे द्वारा उठाये गये मामले में स्पष्ट आरोप थे कि रात 10:30 बजे सोयायटी से खाद उठाकर एक ही गांव के किसान ले गये, इनमें सत्ताधारी दल के नेता और कुछ व्यापारी भी थे। विजय कांवरे के नेतृत्व में दूसरे दिन किसानों ने आंदोलन किया और अतिरिक्त तहसीलदार को ज्ञापन दिया।
आज भाजपा से जुड़े सरपंच, पूर्व सरपंच, जनपद सदस्यों ने उस रात की घटना में अपनी ओर से एक ज्ञापन अतिरिक्त तहसीलदार को देकर केसला सोयायटी में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने से इनकार किया है। इनका कहना है कि जनप्रतिनधियों के समक्ष यूरिया वितरण किया था और कोई गड़बड़ी नहीं हुई। उस दिन आंदोलन करने वाले कांग्रेस से जुड़े नेता और जनप्रतिनधि थे, आज भाजपा से जुड़े जनप्रतिनधि और नेता। सवाल है कि मामला यदि जांच में है तो आज अतिरिक्त तहसीलदार को ज्ञापन देकर सोयायटी में गड़बड़ी नहीं होने का दावा कैसे किया जा रहा है, जांच से पहले ये लोग कैसे प्रमाणित कर रहे हैं? यदि गड़बड़ी नहीं हुई है तो जांच रिपोर्ट का इंतजार कर लें, जांच में सच सामने आ जाएगा। अपनों को बचाने के लिए उतना उतावलापन क्यों? क्या ये दबाव की राजनीति नहीं?
अपनों को बचाने की राजनीति
आज मोरपानी सरपंच हेमराज उईके, भूतपूर्व जनपद सदस्य मोरपानी सुनील बाबा, भूतपूर्व सरपंच केसला सम्मर सिंह इवने, भूतपूर्व सरपंच केसला दिनेश काजले, नवनिर्वाचित उपसरपंच सुधीर मिश्रा, नवनिर्वाचित उपसरपंच सहेली सुनील यादव एवं अन्य किसानों ने आज अतिरिक्त तहसीलदार दीप्ति चौधरी को ज्ञापन देकर कहा है कि 12 दिसंबर को केसला सोसाइटी में यूरिया वितरण में कोई गड़बड़ी नहीं हुई, नियमानुसार जनप्रतिनिधियों के सामने यूरिया का वितरण किया।
पानी गिरने से यूरिया उठाने में देरी
जिस दिन कांग्रेस से जुड़े लोगों ने आंदोलन किया था, समिति प्रबंधक ने जो दलील दी थी, उसे ही आज इन जनप्रतिनिधियों और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने दोहराया। उन्होंने कहा कि किसानों के आग्रह पर धान तुलाई के बाद शाम 6 बजे से बही में यूरिया एंट्री कर आधार कार्ड से मशीन में अंगूठा लगाकर 70-80 किसानों को खाद बांटी गई। पानी गिरने के कारण यूरिया उठाने में देरी हो गई थी एवं रात्रि के कारण छोटे साधन नहीं मिले तो किसानों ने अपने-अपने गांव से ट्रैक्टर ट्राली बुलवाकर ट्राली में यूरिया ले गए। जो भी शिकायत की गई है, वह झूठी एवं निराधार है, वहां पर कोई व्यापारी नहीं था, ना ही ही कोई एक समाज के किसान थे, यूरिया वितरण प्रक्रिया में पूरे समय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। ये दलील अपने आप में स्पष्ट समझ आ रही है कि अपनों को बचाने और विपक्ष के विरोध को दबाने का प्रयास है, यदि सोसायटी से सब विधिवत हुआ है तो जांच का इंतजार क्यों नहीं किया जा रहा है?