Vinayak Chaturthi Vrat 2023
Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रतिमाह अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी आती हैं। लेकिन 19 वर्षों के बाद भगवान शिव के प्रिय महीने (सावन माह) में विनायक चतुर्थी आई है। इसलिए इस विनायक चतुर्थी को अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त विनायक चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश का व्रत रखते हैं, उनके जीवन से सारे कष्ट दूर हो जाते है। और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। साथ ही यह व्रत संतान प्राप्ति, और संतान के अच्छे भविष्य के लिए उत्तम फलदायी माना जाता है।
विनायक चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : Shubh Muhurt)
- पंचांग के अनुसार अधिकमास की विनायक चतुर्थी व्रत दिनांक 21 जुलाई 2023, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा।
- विनायक चतुर्थी तिथि प्रारंभ : 21 जुलाई 2023 दिन शुक्रवार प्रात: 06:58 मिनट से शुरू
- विनायक चतुर्थी तिथि समाप्त : 22 जुलाई 2023 दिन शनिवार सुबह 09:26 मिनट पर समाप्त।
- गणेश पूजा मुहूर्त : सुबह 11:05 – दोपहर 01:50
विनायक चतुर्थी महत्व (Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : Importance)
हिन्दू धर्म में विनायक चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, इस वर्ष यह तिथि अधिकमास माह में आने की वजह से इस तिथि का महत्व कई गुना तक बढ़ गया है। माना जाता है कि अधिकमास में की गई पूजा-पाठ या कोई धार्मिक कार्यों का फल 10 गुना अधिक मिलता है।
मान्यताओं के अनुसार जो भी भक्त इस तिथि पर पूर्ण भक्ति-भाव से भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करते है, उन भक्तों पर भगवान श्री गणेश की विशेष कृपा रहती है, उनके उसके जीवन से सभी दुःख, संकट दूर हो जाते हैं, यश, धन, वैभव की प्राप्ति होती है। साथ ही संतान सुख के लिए व्रत बहुत ही लाभकारी होता है।
अधिकमास विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi Vrat 2023 : Puja Vidhi)
- अधिकमास विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayak Chaturthi Vrat 2023) के दिन प्रात: जल्दी उठकर स्नान से निवृत्य होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- इसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
- इसके बाद प्रतिमाओं का दूध और गंगा जल से अभिषेक करें।
- इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना 108 दूर्वा की पत्तियों से करें।
- इसके बाद घी का दीपक जलाकर वक्रतुंडाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
- जाप के बाद पूजा के स्थान में रखे हुए जल का छिड़काव इन्हीं दूर्वा की पत्तियों से सारे घर में करें।
- इसके बाद भगवान श्री गणेश की आरती कर व्रत कथा सुनें।
- इसके बाद भगवान श्री गणेश को भोग लगाएं और ब्राम्हणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।
विनायक चतुर्थी व्रत कथा (Vinayak Chaturthi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हरिश्चंद्र के राज्य में एक कुम्हार रहा करता था। जो अपने परिवार का लालन-पोषण के लिए मिट्टी के बर्तन बना कर बेचता था। लेकिन किसी कारण की बजह से उसके बनाएं हुए बर्तन ठीक से पक नहीं पाते थे। जिसकी बजह से उसकी आमदनी कम होती थी।
इस समस्या के समाधान के लिए वह एक दिन वह एक पुजारी के पास गया। और उसने पुजारी को अपनी समस्या बताई, उसकी बात सुनकर पुजारी ने कहा कि इसके लिए तुमको बर्तनों के साथ आंवा में एक छोटे बालक को डाल देना चाहिए। पुजारी की सलाह पर उसने अपने मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए आंवा रखा और उसके साथ एक बालक को भी रख दिया।
बालक के न मिलने पर उसकी मां बहुत परेशान हो गई। उस दिन चतुर्थी थी। उसने भगवान श्री गणेश का व्रत रख उस बालक के मिलने और कुशलता की प्रार्थना की। अगले दिन सुबह जब कुम्हार न अपने मिट्टी के बर्तनों को देखा कि सभी अच्छे से पक गए हैं और वह बालक भी जीवित था। यह देखकर वह कुम्हार डर गया और राजा के दरबार में गया। और सारी बात बताई।
राजा ने उस बालक और उसकी माता को दरबार में बुलाया। और पूछा की यह सब कैसे हुआ। तब बालक की मां ने राजा को गणेश चतुर्थी व्रत के बारे में बताया।
Vinayak Chaturthi Vrat 2023