देवी कूष्मांडा ने ही स्मित मुस्कान के साथ ब्रह्मांड की रचना की थी
इटारसी। 20 अक्टूबर 2020 को आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। नवरात्रि का भी यह चौथा दिन है जिसमें मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। मान्यता है कि देवी कूष्मांडा (Devi Kushmanda) ने ही स्मित मुस्कान के साथ ब्रह्मांड की रचना की थी। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि माता कूष्मांडा आदिशक्ति (Adishakti) हैं। सूर्यमंडल के भीतर के लोक में इनका निवास है। माता सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं। इनका वाहन सिंह है।
माता की आठ भुजाएं हैं जिसके कारण उन्हें अष्टभुजा देवी (Asthbhuja Devi) भी कहा जाता है। इनके हाथों में कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमंडल, धनुष, बाण, चक्र और गदा है। मां के आठवें हाथ में सभी निधियों और सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। कूष्माण्डा माता की सच्चे मन से आराधना करने पर दुख दूर हो जाते हैं, रोग खत्म हो जाते हैं। मां कूष्माण्डा बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी भक्ति से आयु, आरोग्य, यश-बल की वृद्धि होती है।
श्लोक मंत्र
1. सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
2. या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। हिंदी भावार्थ : हे मां! सर्वत्र उपस्थित और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध मां अम्बे, मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं/ या आपको मेरा बारंबार प्रणाम है।