इटारसी। इस वर्ष कृषि विभाग गेहूं का रकबा कम करके चने का रकबा बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है। आज दोपहर मंडी परिसर में मीडिया से चर्चा करते हुए उप संचालक कृषि ने बताया कि इस वर्ष पानी की कमी को देखते हुए किसानों को कम पानी की फसल लेने की सलाह दी जा रही है। किसानों को बताया जा रहा है कि गेहूं का रकबा कम करके कम पानी में पैदा होने वाली चने की फसल को रकबा बढ़ाया जा सकता है। इस वर्ष तवा बांध में भी पानी की कमी है। विभाग ने कम पानी में पैदा होने वाले गेहूं का बीज भी बड़ी मात्रा में मंगाया है। उन्होंने कहा कि गेहूं की नई किस्म जेडब्ल्यू 3288, जेडब्ल्यू 3211 ऐसी किस्म हैं जो दो पानी में भी 20 क्विंटल प्रति एकड़ दे रही हैं। ये किस्म 322 की तरह ही उत्पादन दे रही हैं। सरकार भी इस बार दलहन को बढ़ावा दे रही है, ऐसे में किसान भाई चने की तरफ आएं।
जिले में कृषि रकबा
जिले में 3 लाख 25 हजार हेक्टेयर का कुल खेती योग्य रकबा है। पिछले वर्षों तक दो लाख 80 हजार हेक्टेयर में गेहूं और शेष में चने की फसल किसान लेते थे। अब जिला प्रशासन और कृषि विभाग ने कृषि अनुसंधान केन्द्र पवारखेड़ा के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर प्लान किया है कि हम चने का रकबा बढ़ाएंगे। इसमें गेहूं का रकबा 2 लाख 90 हजार हेक्टेयर से 1 लाख 90 हजार तक लाएंगे और चने का एरिया करीब एक लाख हेक्टेयर तक लाएंगे जो पिछले वर्ष 38 हजार हेक्टेयर करीब था।
खाद-बीज की कमी नहीं
कृषि उपसंचालक ने बताया कि जिले में कहीं भी खाद-बीज की कमी नहीं है। जहां से नकली खाद-बीज की शिकायत आती भी है तो हम सेंम्पलिंग करा रहे हैं। जिले में पहली बार ऐसा हुआ है कि अच्छे किस्म के बीज हैं, चने के भी अच्छे बीज हमारे पास उपलब्ध हैं। गुणवत्ता के लिए भी ब्लाक स्तर पर सेंपलिंग कर रहे हैं। चने की फसल को रिस्की तो माना लेकिन फिलहाल किसानों को नुकसान से बचाने कोई नए प्रावधान नहीं बताए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसे पूर्व के जो प्रावधान हैं, वही हैं।