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देशज : होंगे देश की लोक संस्कृति के दर्शन

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सांसद उदय प्रताप और नगर पालिका अध्यक्ष करेंगे उद्घाटन
इटारसी। भारत की पारंपरिक, लोक एवं जनजातीय अभिव्यक्तियों का उत्सव देशज का आयोजन 2 नवंबर, शनिवार से गांधी स्टेडियम में शाम 6 बजे से प्रारंभ होगा। उत्सव का शुभारंभ सांसद उदय प्रताप सिंह के मुख्य आतिथ्य में होगा। अध्यक्षता नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष श्रीमती सुधा अग्रवाल करेंगे। 6 नवंबर को प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा, आयुष एवं संस्कृति मंत्री विजयलक्ष्मी साधो एवं विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा की मौजूदगी में देशज का समापन होगा।
उद्घाटन अवसर पर पहला कार्यक्रम लोक एवं सूफी ग्रुप अमृतसर की बाबा सिस्टर्स का होगा। इसमें श्रीमती ग्लोरी बाबा एवं लाची बाबा प्रस्तुति देंगी। ये दोनों पंजाब की प्रसिद्ध लोक गायिका हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं। इनकी आवाज में मधुरता और लय-लोच का शानदार सामंजस्य है। स्पिक मैके के माध्यम से पूरे भारत में लोक और सूफी गायन की प्रस्तुति दी हैं। उनको संगीत के क्षेत्र में कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
पहले दिन दूसरा आयोजन आदिवासी धुलिया जनजातीय सांस्कृतिक लोक नृत्य दल डिंडोरी द्वारा पेश किया जाएगा जिसमें गुदुम बाजा की प्रस्तुति होगी। गुदुम बाजा ढुलिया जनजाती का नृत्य है जो जन्म, मृत्यु, विवाह एवं पूजा अनुष्ठान के वक्त प्रयोग किया जाता है। यह इनका पारंपरिक वाद्य है। प्रत्येक नर्तक की कमर के सामने गुदुम बाजा बंध रहता है जिसे नर्तक नृत्य शैली के अनुसार डगर चली, माता पार, दौड़, घुमक, तालबंद, कहरबा और लहकी की धुनों को बजाकर नृत्य करते हैं।
तीसरा कार्यक्रम तेलंगाना का लमबाड़ी नृत्य होगा जिसे चंदना जनपद नृत्य एकेडमी हैद्राबाद द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह तेलंगाना और आंध्रप्रदेश का प्रसिद्ध आदिवासी नृत्य है जो बंजारा या सेंगाली जनजाति समुदाय द्वारा किया जाएगा। इसमें महिला नर्तकियां, पुरुष डप्पू और नगाड़ा वादकों के साथ मिलकर अपने भगवान को अच्छी फसल की उत्पत्ति के लिए धन्यवाद स्वरूप नृत्य अर्पित करते हैं। प्रथम दिवस की चौथी प्रस्तुति झिझिया नृत्य, बिहार की होगी जिसमें विक्रांत कुमार एवं दल मधुबनी द्वारा यह नृत्य पेश किया जाएगा। यह बिहार का लोकनृत्य है जो दुर्गा पूजा के अवसर पर किया जाता है। महिलाओं द्वारा किया जाने वाले इस नृत्य में ग्रामीण महिलाएं अपनी सखी-सहेलियों के साथ एक घेरा बनाकर नृत्य करती हैं। घेरे के बीच एक मुख्य नर्तकी सिर पर घड़ा लेकर खड़ी रहती है जिस पर एक दीपक जलता है। अगली प्रस्तुति सिलापथर पूर्व ज्योति संघ घेमाजी असम द्वारा बिहू नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। बिहु युवक-युवतियों का सामूहिक नृत्य है जिसमें तेजी से कदम उठाना, हाथों का उछालना और चुटकी बजाकर कमर मटकाना इस नृत्य की विशेषता है। इसके बाद मप्र का बधाई नृत्य लोक दर्पण पारंपरिक एवं समकालीन कलारूपों का संस्थान सागर द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। यह तीज-त्योहारों, जन्मदिन, विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर शीतला माता की आराधना में किया जाता है।

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