देशज 2019 : पांच दिन में होंगी 30 प्रस्तुति

Post by: Manju Thakur

18 से 22 सितंबर 2019 तक हर रोज छह प्रस्तुति दी जाएंगी
इटारसी। देशज़ 2016 अब तक इस शहर के स्मृति पटल से विस्मृत नहीं किया जा सका है। देशभर के 20 राज्यों की पारंपरिक, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को इस शहर के संस्कृति प्रेमियों ने देखा, सराहा और अपनी यादों में संजोया भी। संगीत एवं नाटक अकादमी ने देशभर में अनेकानेक कार्यक्रम किए होंगे, लेकिन ईंट और रस्सी के इस शहर में हुआ आयोजन कई मायनों में उनके लिए भी भिन्न था और शहर के लिए भी। अब पुन: देशज इटारसी को मिला है। विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा की केन्द्रीय संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल से मुलाकात सार्थक रही और संगीत नाटक अकादमी ने इटारसी को फिर देशज दे दिया। इस वर्ष यह कार्यक्रम 18 से 22 सितंबर तक गांधी स्टेडियम में हर रोज शाम 6 बजे से होगा।

DESHAZ 75
तीन वर्ष बाद इस शहर को फिर से देशज मिल रहा है। 18 से 22 सितंबर तक गांधी स्टेडियम में देशज का आयोजन फिर से हो रहा है। इस बार का देशज पंजाबी सूफी से प्रारंभ होकर कव्वाली पर खत्म होगा। पहली बार इटारसी के ही नेहरुगंज निवासी और संगीत नाटक अकादमी में कार्यरत प्रवीण दुरेजा ने देशज से शहर को रूबरू कराया था। जब 2016 में नगर पालिका के सहयोग से यह आयोजन इटारसी में हुआ था। पुन: इस बार पंजाबी फोक के अलावा नियाजी निजामी बंधुओं का गायन, हिमाचल प्रदेश के कलाकारों की कुल्लू नाटी नृत्य, गुजरात के गरबा और रास, असम का लोकप्रिय नृत्य बिहु, दक्षिण भारत के कर्नाटक के ढोलूकुनिथा, जम्मू कश्मीर का ग्रुप, छऊ नृत्य, मिजोरम का अद्वितीय चेराव नृत्य के अलावा मणिपुर का थांगता और ढोल चोलम, महाराष्ट्र की लावणी सहित केरल व अन्य राज्यों के छह ग्रुप प्रतिदिन प्रस्तुति देंगे। इस तरह कुल 30 ग्रुप पांच दिन अपना कला बिखेरेंगे।
देशज 2016 इटारसी के लिए मायनेखेज़ बात थी कि शहर में यह ऐसा पहला सांस्कृतिक आयोजन था जिसने दशहरे के बाद सबसे अधिक दर्शकों को जुटाया। पहले भी इस शहर की सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर आयोजन हुए हैं, लेकिन इतने अधिक और अनुशासित दर्शक पहली बार जुटे। वर्ग कोई नहीं था। उच्च, मध्यम और निम्न वर्ग। सबसे परे केवल सांस्कृतिक कार्यक्रमों को परखने वाले जोहरी थे, सब। इस बात को वजन देने के लिए एक ही उदाहरण काफी है, कि लोग ठंड के बावजूद अंतिम कार्यक्रम के अंतिम पल तक अपनी जगह से नहीं हटते थे। देशज 2016 के माध्यम से देश की विविधता में एकता का सूत्र भी बंधा था। एसएनए ने देश की विविध लोक एवं पारंपरिक सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों को एक मंच पर लाकर पहली बार इस शहर को देश की सांस्कृतिक विरासत से रूबरू कराया। देश के विविध क्षेत्रों की सांस्कृतिक विशिष्टताओं से परिचय भी प्राप्त किया तो देश के विभिन्न अंचलों की कलाओं के प्रति उत्सुकता एवं जागरुकता इस शहर ने दिखाई। देशज के माध्यम से भारतीय लोक संगीत, नृत्य एवं नाट्य से जनसाधारण, खास तौर से युवा पीढ़ी को रू-ब-रू होने का एक बेहतरीन मौका मिला था।

error: Content is protected !!