नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव, अब इस सुविधा का लाभ ले पाएंगे स्टूडेंट

Post by: Poonam Soni

नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 (NEP 2020 ) का मुख्य उद्देश्य भारत में अब तक जो शिक्षा प्रदान की जा रही है। उस में क्रांतिकारी बदलाव लाना साथ ही भारत के शिक्षा को वैश्विक स्तर पर खड़ा करना है। जैसे हमारे भारत का इतिहास है कि पूरी दुनिया भारत से हमेशा सीखते आ रही हैं वैसे ही भारत को ज्ञान के क्षेत्र में महाशक्ति बनाना भी नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020, NEP 2020 का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।

नेशनल एजुकेशन पालिसी का उद्देश्य

• प्रत्येक बच्चे की क्षमता की पहचान एवं क्षमता का विकास करना
• साक्षरता एवं संख्यामकता के ज्ञान को बच्चों के अंतर्गत विकसित करना
• शिक्षा को लचीला बनाना
• एक सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में निवेश करना
• गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को विकसित करना
• बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना
• उत्कृष्ट स्तर पर शोध करना
• बच्चों को सुशासन सिखाना एवं सशक्तिकरण करना
• शिक्षा नीति को पारदर्शी बनाना
• तकनीकी यथासंभव उपयोग पर जोर
• मूल्यांकन पर जोर देना
• विभिन्न प्रकार की भाषाएं सिखाना
• बच्चों की सोच को रचनात्मक एवं तार्किक करना

नई शिक्षा नीति विशेषता

नई शिक्षा नीति विशेष रूप से चार चरणों में काम करेगी , 5+3+3+4 के पैटर्न को प्रयोग में लेकर स्टूडेंट की शिक्षा को आगे बढ़ाया जाएगा । इस नए पैटर्न के तहत 12 साल की स्कूली शिक्षा तथा 3 साल प्री स्कूली शिक्षा शामिल है । New Education Policy 2020 को सरकारी तथा प्राइवेट स्कूल दोनों संस्थाओं के द्वारा फॉलो किया जाएगा ।
1 फाउंडेशन स्टेज :- फाउंडेशन स्टेज में 3 से 8 साल के बच्चे शामिल किए गए हैं , इस स्टेज में 3 साल की अपनी स्कूली शिक्षा तथा 2 साल प्री स्कूली शिक्षा जिसमें कक्षा 1 तथा दो शामिल है । फाउंडेशन स्टेज में छात्रों को भाषा कौशल और शिक्षण के विकास के बारे में सिखाया जाएगा और इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा ।
2. प्रीप्रेटरी स्टेज :- प्रीप्रेटरी स्टेज के तहत 8 से लेकर 11 साल के बच्चे को शामिल किया गया है , प्रीप्रेटरी स्टेज के तहत कक्षा 3 से कक्षा पांच के बच्चे शामिल होंगे और इस स्टेज में बच्चों की भाषा और संख्यात्मक कौशल के विकास करण शिक्षकों का उद्देश्य रहेगा । प्रीप्रेटरी स्टेज तक बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाया जाएगा ।
3. मिडिल स्टेज :- मिडिल स्टेज के अंतर्गत कक्षा 6 से कक्षा 8 के बच्चे शामिल होंगे , मिडिल स्टेज के तहत कक्षा 6 के बच्चों को कोडिंग सिखाया जाएगा साथ ही उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण और इंटर्नशिप भी प्रदान की जाएगी ।
4. सेकेंडरी स्टेज :- सेकेंडरी स्टेज के तहत कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के बच्चों को शामिल किया गया है , सेकेंडरी स्टेज के तहत जैसे बच्चे पहले साइंस, कॉमर्स तथा आर्ट्स लेते थे इस सुविधा को खत्म कर दी गई है , सेकेंडरी स्टेज के तहत बच्चे अपने पसंद की सब्जेक्ट ले सकेंगे और आगे की पढ़ाई कर सकेंगे ।
उदाहरण से समझे : यदि बच्चा साइंस के साथ कॉमर्स या फिर कॉमर्स के साथ आर्ट्स की पढ़ाई करना चाहता है तो इसकी भी अनुमति होगी ।

भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण

  • नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है, साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।
  • नेशनल एजुकेशन पालिसी 2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान)’ स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मज़बूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।

नेशनल एजुकेशन पालिसी कि विशेषताएं

• पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था परंतु अब नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा। जिसमें 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी और 3 साल की प्री स्कूली शिक्षा होगी।
• छठी कक्षा से व्यवसायिक परीक्षण इंटर्नशिप आरंभ कर दी जाएगी।
• पांचवी कक्षा तक शिक्षा मातृभाषा या फिर क्षेत्रीय भाषा में प्रदान की जाएगी।
• पहले साइंस, कॉमर्स तथा अर्ट स्ट्रीम होती थी। अब ऐसी कोई भी स्ट्रीम नहीं होगी। छात्र अपनी इच्छा अनुसार विषय चुन सकते हैं। छात्र फिजिक्स के साथ अकाउंट या फिर आर्ट्स का कोई सब्जेक्ट भी पढ़ सकते हैं।
• मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय अब शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा।
• National Education Policy के अंतर्गत शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा जिसमें मेडिकल और लॉ की पढ़ाई शामिल नहीं की गई है।
• छात्रों को छठी कक्षा से कोडिंग सिखाई जाएगी।
लाभ
• नई नेशनल एजुकेशन पालिसी के अंतर्गत बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके कौशल पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
• नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यदि कोई छात्र कोई कोर्स बीच में छोड़कर दूसरे कोर्स में दाखिला लेना चाहता है तो वह पहले कोर्स से निश्चित समय तक ब्रेक ले सकता है और दूसरा कोर्स ज्वाइन कर सकता है।
• छात्रों को 3 भाषा सिखाई जाएंगी जो कि राज्य अपने स्तर पर निर्धारित करेंगे।
• पढ़ाई को आसान बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भी किया जाएगा।
• नेशनल एजुकेशन पालिसी को लागू करने के लिए जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च किया जाएगा।
• पढ़ाई में संस्कृत और भारत की अन्य प्राचीन भाषाएं पढ़ने का विकल्प रखा जाएगा। छात्र अगर चाहे तो यह भाषाएं पढ़ सकते हैं।

नेशनल एजुकेशन पालिसी कि खामियां

1. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए भी कोचिंग भी व्यवस्था का जिक्र नहीं किया गया है जिससे वो भी मेडिकल, इंजीनियरिंग, IIT, IIM, सिविल सर्विसिज की तैयारी कर सकें।
2. इसमें कहीं पर भी ये नहीं लिखा कि बड़े बड़े नामी गिरामी स्कूलों में 25% गरीबों का कोटा कैसे पारदर्शी होगा और यें RTI act के दायरे में आना चाहिए अगर नहीं है तो।
3. नये विश्वविद्यालय व महाविद्यालय खोलने की रुपरेखा नहीं है।
4. बच्चों की पढ़ाई के तीन साल बड़ा दिए प्ले, नर्सरी, केजी की कक्षाओं को अनिवार्य करके जो शहरी प्राइवेट स्कूलों को अरबों का व्यापार देगा और गरीब माता-पिता को बोझ।
5. छात्रों के स्किल डेवलपमेंट को खास तवज्जो नहीं दी गई जिसमें वो कोई तकनीकी शिक्षा लें।

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