इटारसी।ठाकुर श्री द्वारिकाधीश के मनोरथ को पूर्ण करने एवं अपने पूर्वजों की स्मृति में नालंदा एजुकेशन सोसायटी एवं चौकसे परिवार कलचुरी भवन में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कर रहे हैं। चतुर्थ दिवस कथा को विस्तार देते हुए आचार्य पं. मधूसूदन शास्त्री ने कहा कि जब-जब पृथ्वी पर आसुरी शक्तियों ने अपना तांडव किया तब-तब किसी न किसी रूप में भगवान को जन्म लेना पड़ा।
उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे देश का प्रमुख राज्य है, लेकिन वहां दो निशान और दो प्रधान का कार्य आजादी के समय से चल रहा था। वर्तमान सरकार ने धारा 370 हटाकर उस व्यवस्था को बंद किया। उन्होंने कहा कि हो सकता है, सरकार के इस निर्णय से कुछ लोग न खुश हो परंतु यह निर्णय पूरे भारत के हित में हुआ है। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का अवतार ही पापियों के नाश के लिए हुआ था। जब कंस का आतंक मथुरा में बहुत ज्यादा बढ़ गया और यहां तक की देवकी की छह संतानों को भी कंस ने नहीं छोड़ा, तब सातवीं पुत्री को देवकी की कोख से रोहणी की कोख में भेजा। आठवें पुत्र के रूप में भगवान कृष्ण ने जन्म लेकर कंस का वध किया। कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की अलौकिक झांकी प्रस्तुत की गई और पूरा पंडाल कृष्णमय हो गया। इस अवसर पर दूध, दही, घी, शक्कर, मिश्री सहित बच्चों के खिलौने वितरित किए।
कृष्ण जन्म के पूर्व आचार्य पं.मधूसूदन शास्त्री ने गजेंद्र मोक्ष, वामन अवतार, धु्रवचरित और प्रियव्रत की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म यह नहीं सिखाता कि किसी दूसरे धर्म की हानि करों। खासकर हिंदू धर्म में सभी धर्मो के सम्मान की बात की गई है। कंस ने ज्यादती की तो उसे मृत्यु प्राप्त हुई। इसी तरह भारत के कुछ राज्यों में जो भी लोग जिस भी मंसूबे से आतंकवाद फैला रहे हैं, मुझे उम्मीद है, भारत गणराज्य की सरकार चाहे वह किसी भी दल की हो लेकिन प्रधानमंत्री और उनकी सरकार जो पूरे देश की है निश्चित ही आतंकवादियों का खात्मा करेगी। उन्होंने कहा कि कंस ने देवकी की 6 संतानों का वध किया और आज हमारे देश में भी दुराचारी हमारी बहन-बेटियों की हत्या कर रहे हंै। उन्होंने कहा कि निर्भया हत्याकांड इस बात का प्रमाण है लेकिन न्याय यदि जल्दी मिलेगा तो अपराधी ऐसा जघन्य अपराध करने से घबराएंगे। कार्यक्रम के प्रारंभ में राधाबाई चौकसे, अभिनय वैशाली चौकसे, अनुराग दीपिका चौकसे, दिनेश एवं भारती, मनीष एवं सरिता, अजय चौकसे एवं अंचल चौकसे ने महाराज श्री का स्वागत किया।