सारणी। रानीपुर के जंगल में एक लंगूर गंभीर रूप से घायल था जिसे प्राथमिक उपचार के लिए अमित सपरा, आशीष वागद्रे घोड़ाडोंगरी ले आए जहां पर पाथाखेड़ा के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर पंकज माहोरे को सूचना दी गई। वे तत्काल घोड़ाडोंगरी पहुंचे और घायल लंगूर का उपचार किया। डॉक्टर ने बताया कि लंगूर के सिर पर गंभीर चोट है और दाहिने हाथ पर जख्म है जिसकी उपचार किया जा चुका है। डॉक्टर ने बताया कि मुख्य मार्ग पर सफर करने वाले लोगों को लंगूर और बंदर को भोजन नहीं देना चाहिए भोजन देने के बजाय उन पौधों का रोपण किया जाना चाहिए जिससे जंगल का क्षेत्रफल बड़े और लंगूर बंदर मुख्य मार्ग पर आने के बजाय जंगल में ही अपना भोजन प्राप्त करें। बाबा मठारदेव सेवा समिति और राम बोलो समिति के दीपेश दुबे ने क्षेत्रवासियों से अपील की है कि सारणी से दमोह सारणी से बैतूल जाने वाले सभी लोग लंगूर और बंदरों के लिए भोजन ना ले जाएं उनके भोजन देने के कारण ही जंगल को छोड़कर बंदर मुख्य मार्ग के दोनों तरफ खड़े हो जाते हैं और हर छोटे बड़े वाहन चालकों से भोजन की उम्मीद रखते हैं जिसकी वजह से इस तरह की दुर्घटनाएं हो रही है। उन्होंने बताया कि अमित, और उनके सहयोगी नेे लंगूर की जान बचाकर एक अनोखी मिसाल कायम की है।
इनका कहना है
लंगूर के सर पर गंभीर चोट लगी है। उसे ग्लुकोज चढ़ाया है, साथ ही मलहम पट्टी की है। मुख्य मार्ग के आसपास रहने वाले बंदरों को भोजन न देने के बजाय फलदार पौधे लगाएं जिससे जंगल बढ़ें और बंदर जंगल पहुंचे।
डॉ. पंकज माहोरे, पशु चिकित्सा अधिकारी
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मानवता की मिसाल: घायल लंगूर का करवाया उपचार
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