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विडंबना : दो दमकलों के भरोसे एक शहर और सैंकड़ों गांव

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इटारसी। ग्राम पंचायतों के पास आग बुझाने के अपने साधन नहीं हैं। शहर से दमकलों को बुलाकर आग बुझाने के असफल प्रयास किये जाते हैं। रबी फसल कटाई के दौरान नरवाई और खड़ी फसल में आग लगने पर शहर से घटनास्थल तक दमकलों के पहुंचने तक आग विकराल हो जाती है और दमकल केवल इतना काम कर पाती हैं कि आग ज्यादा न फैले। बावजूद इसके कभी एक से अधिक स्थान पर आग लग जाए तो फिर दमकलों का सहारा भी काम नहीं आता है। ऐसा ही वाकया पिछले वर्ष शहर के उत्तर-पूर्वी गांवों में हुआ था जिसमें पांजराकलॉ के 8 लोगों की मौत हो गयी थी।
इटारसी नगर पालिका के पास दो दमकलें हैं, वे भी काफी पुरानी और जर्जर हैं। इन्हीं दम फूलती दमकलाकें के भरोसे शहर की लगभग डेढ़ लाख की आबादी और शहर के चारों तरफ के सैंकड़ों गांव हैं। गर्मी में बढऩे वाले अग्नि हादसों से इन दमकलों का और भी दम निकल जाता है, क्योंकि एक दिन में इनको सैंकड़ों किलोमीटर दौडऩा पड़ता है। बूढ़ी हो चली इन दमकलों से ही हरदा, बैतूल, पिपरिया, बाबई, केसला के दूरस्थ अंचलों तक जाकर आग बुझाने का प्रयास होता है। हालांकि इटारसी में आर्डनेंस फैक्ट्री, सीपीई और एनएएफएस के पास एक-एक फायर वाहन है। इस तरह से इटारसी आगजनी की घटनाओं में पांच वाहन उपलब्ध कराता है, लेकिन सर्वाधिक भार इटारसी नगर पालिका के पास ही होता है।

अभी दो वाहन, तीसरे के टेंडर
नगर पालिका इटारसी के पास फिलवक्त दो फायर वाहन हैं, जो काफी पुराने हैं। तीसरे के लिए टेंडर हो चुके हैं। वर्तमान में जो दो हैं, उसमें छोटे वाहन की डेंटिंग-पेंटिंग और सर्विसिंग की प्रक्रिया जारी है। ये वाहन जिलेभर में आगजनी की घटनाओं में भेजे जाते हैं। नगर पालिका की वाहन शाखा के अनुसार गर्मियों में जब खेत सुलगते हैं तो ये वाहन हर दिन सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर तक दौड़ते हैं। इनकी दौड़ अप्रैल से प्रारंभ हो जाती है और मई तथा आधा जून माह तक इनकी दौड़ जारी रहती है। नगर पालिका की वाहन शाखा के अनुसार कभी-कभी तो भौंरा, शाहपुर, हरदा, बनखेड़ी, पिपरिया तक जाना पड़ता है।

तीन शिफ्ट में करते हैं काम
नगर पालिका के दो दमकल वाहनों पर चौबीस घंटे में तीन शिफ्टों में 8-8 घंटे काम कराया जाता है। इनके संचालन के लिए 15 कर्मचारियों का स्टाफ है, इसमें 7 ड्रायवर और 8 फायर हेल्पर शामिल हैं। गर्मियों में जब खेतों में फसल और नरवाई सुलगती है तो इनको लगातार काम करना होता है और आराम भी नहीं कर पाते हैं। मौके पर जल्दी पहुंचने का तनाव भी इन पर होता है और देरी होने पर गांववालों के गुस्से का सामना करके भी ये लोग शांत रहते हैं। अफसर ग्रामीणों से नरवाई नहीं जलाने का आग्रह कर रहे हैं, उससे उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष फसलों में आगजनी की घटनाओं में कमी आ सकती है।

यहां हैं फिलिंग पाइंट
पीपल मोहल्ला में मप्र विद्युत वितरण कंपनी के दफ्तार के पास एनएच किनारे
– कृषि उपज मंडी के सामने खेड़ा पर बने नगर पालिका के समवेल के सामने
– विश्वनाथ टाकीज चौराह पर नगर पालिका की पेयजल टंकी के पास नलकूप
– ओवरब्रिज के नीचे जहां नगर पालिका के दमकल वाहनों को खड़ा रखते हैं
– न्यास कालोनी बायपास से सोनासांवरी रेलवे क्रासिंग जाने वाले मार्ग पर

ये प्रयास भी हो रहे हैं
– पंचायतों के पास जो टैंकर हैं, उनमें पंप लगाकर फायर फाइटर बनाया जा रहा है
– नरवाई न जले, इसके लिए जिला प्रशासन ने 422 नोडल अधिकारी नियुक्त किये हैं
– कलेक्टर, उपसंचालक कृषि सीधे तौर पर इस अभियान पर नजरें रखे हुए हैं
– पांजराकलॉ में पिछले वर्ष मौतों के बाद ग्रामीण भी जागरुकता अभियान चला रहे
– देवी भजन गायक आलोक शुक्ला भी निजी तौर पर जागरुकता मुहिम चला रहे
– कुछ संस्थाओं ने गांवों में टैंकरों को फायर फाइटर में बदलकर तैयार रखा है

इनका कहना है…!
अभी हमारे पास दो पुरानी दमकलें हैं, इनकी सर्विसिंग, ओवरहॉलिंग करायी जा रही है। एक नयी दमकल के टेंडर हो गये हैं। शहर की आबादी और खेतों में आगजनी के मान से तीन दमकल होना जरूरी है।
आरके तिवारी, इंचार्ज वाहन शाखा

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