होशंगाबाद। क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन से बने भोज्य पदार्थ लेने से बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है। यदि नहीं तो हम आपको केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के निर्देशक केके सिंह के दावे से अवगत कराते हैं। यहां गृहविज्ञान महाविद्यालय में जिला महिला बाल विकास विभाग के तत्वावधान में सुपोषण मेला का आयोजन किया जिसमें श्री सिंह ने बताया कि उनकी संस्था सोयाबीन से बने नये-नये प्रोडक्ट भी बनाती है, जो बच्चो के कुपोषण को दूर करने में कारगर है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश से लोग आकर उनकी संस्था में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। श्री सिंह ने बताया कि सोयाबीन से बनी विभिन्न खाद्य पदार्थ लेने से बच्चो के कुपोषण को मिटाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मप्र में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, शिशु मृत्यु दर भी ज्यादा है।
औसत आयु बढ़ी है
मुख्य अतिथि कमिश्नर उमाकांत उमराव ने संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान में भारत में औसत आयु लगभग 65 वर्ष है। किन्तु सन् 1900 में भारत के लोगों की औसत आयु 37 वर्ष थी। इन 117 वर्षों के दौरान व्यक्ति की औसत आयु में बढ़ोतरी हुई है। हमारे जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव हमारे भोजन शैली ने डाला है। भारत का समाज मूलत: शाकाहारी रहा है। पहले हमारी थाली में लगभग 15 प्रकार के बिन्स रहते थे किन्तु अब बदलती जीवन शैली के कारण हमारी थाली में एक तरह की बिन्स ही रहती है। कमिश्नर ने कहा कि भारत में फूड पर आधारित पर्व भी है। श्री उमराव ने बताया कि जो हम आज प्रोडयूस कर रहे है वो न्यूट्रस हो, साथ ही पौष्टिक भी हो और हमारी आदतों को मैच करे तो हमारे जीवन व स्वास्थ्य के लिए वो बेहतर होगा। कलेक्टर अविनाश लवानिया ने बताया कि बच्चों में कुपोषण से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए जिला प्रशासन व समाज एकजुट है और प्रतिबद्ध भी है। उन्होंने कहा कि जिले की आंगनबाड़ी केन्द्रों को अटल बाल पालकों ने बहुत शिद्दत से गोद लिया है ताकि आंगनबाड़ी केन्द्र के बच्चों के कुपोषण को दूर कर उन्हें स्वस्थ बच्चों की श्रेणी मे लाया जा सके। बच्चो के कुपोषण दूर करने के लिए सोयाबीन व तमाम तरह के वस्तुओ की आवश्यकता है। आईसीएस के विभागाध्यक्ष पीसी बरगले ने कहा कि हम उपलब्ध तकनीकी के माध्यम से मप्र के लिए बहुत कुछ करेंगे। जिले में अधिक से अधिक सोया प्रोडक्ट का उपयोग कर जिले को 3 वर्ष के अंदर कुपोषण से मुक्त कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी संजय त्रिपाठी ने बताया कि जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों में 1 लाख 2 हजार 570 बच्चे अध्ययनरत हैं। अटल बाल पालकों ने जिले की 407 आंगनबाडी केन्द्रों को गोद लिया है ताकि बच्चों में व्याप्त कुपोषण को मिटाया जा सके। समाजसेवी नीरजा फौजदार ने बताया कि उनके द्वारा जिले की 3 आंगनबाड़ी केन्द्रों को गोद लिया है। इन केन्द्र के अधिकांश बच्चों को स्वस्थ बच्चों की श्रेणी में लाया गया है। महीने में दो बार अतिकम वजन के बच्चो का स्वास्थ्य परीक्षण किया है। डॉ बीएम मालवीय ने बताया कि उन्होंने 10 आंगनबाडी केन्द्रों को गोद लिया है। समय-समय पर बच्चों के परिजन को स्वास्थ्य संबंधी सलाह दी जाती है, कि उन्हें क्या करना है क्या नहीं। मेले के समापन अवसर पर कमिश्नर श्री उमराव व कलेक्टर श्री लवानिया ने सोया प्रोडक्ट के स्टाल का अवलोकन किया। मौके पर मौजूद सभी को सोयाबीन और पनीर से दूध कैसे बनाएं जाएं इसका डेमो दिखाया। सुपोषण मेला में जिला पंचायत सीईओ पीसी शर्मा, सहायक कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े, कृषि महाविद्यालय पवारखेड़ा के प्राचार्य बीके पहलवान, प्राचाय कामनी जैन, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, आंगनबाडी कार्यकर्ता, अटलबाल पालक, स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारी कालेज के प्राध्यापक एवं छात्राएं मौजूद थे।