स्वस्थ पर्यावरण के लिए पौधरोपण की योजना पर काम

Post by: Manju Thakur

तालाब पर श्रमदान के साथ सीडबॉल बनायीं
इटारसी। नर्मदांचल जल अभियान के अंतर्गत आज रविवार को सदस्यों ने खेड़ा स्थित तालाब पर श्रमदान के साथ ही सीडबॉल निर्माण कार्य किया। सुबह करीब 7 बजे अभियान से जुड़े अनेक सदस्य खेड़ा तालाब पर पहुंचे और तालाब की मिट्टी लेकर सबसे पहले अमलताश के बीजों की करीब पांच सौ सीड बॉल तैयार की। इसके बाद सभी ने श्रमदान किया। आज अभियान से डॉ. सुनीता सिंह भी जुड़ी और उन्होंने भी श्रमदान में शामिल होकर तालाब के गहरीकरण में भागीदारी निभाई।
तालाब, पोखरों, पहाड़ी नदियों को पुनर्जीवन देने, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के साथ ही पौधरोपण की दीर्घकालिक योजना के नर्मदांचल जल अभियान में रविवार को पुन: खेड़ा स्थित तालाब पर श्रमदान के साथ ही अमलतास के बीजों की सीडबॉल तैयार की गई। इन सीडबॉल्स को शहर की संस्थाओं को सौंपा जाएगा ताकि वे इनके बीजरोपण के साथ ही पौधे तैयार कर उनका संरक्षण कर सकें।

अभियान से जुड़ रहे हैं लोग
नर्मदांचल जल अभियान के अंतर्गत हो रहे कार्यों से प्रभावित होकर अपना योगदान देने में शहर के गणमान्य नागरिकों सहित हर वर्ग के लोग रुचि लेकर संपर्क कर रहे हैं। जनहित के इस अभियान से रविवार को माता मंदिर अस्पताल की संचालक डॉ. सुनीता सिंह भी जुड़ी और सुबह खेड़ा स्थित तालाब पर पहुंचकर उन्होंने श्रमदान में भाग लिया। श्रीमती सिंह ने खेड़ा तालाब को देखकर काफी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इतनी सुंदर जगह है, इसके विकास के लिए शासकीय महकमे को आगे आना चाहिए। नर्मदांचल जल अभियान के अंतर्गत इस जगह पर काम प्रारंभ करने की भी उन्होंने सराहना की। वे यहां तालाब में लगे कमल के फूलों को देखकर काफी प्रभावित हुईं।

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इनका कहना है…!

मुझे यहां आकर काफी अच्छा लगा। इस तालाब की जानकारी बहुत लोगों को नहीं हैं। यहां तालाब में खिले कमल के फूल देखकर मन प्रफुल्लित हो गया है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बहुत काम करने की जरूरत है। नर्मदांचल जल अभियान एक अच्छी मुहिम है, इसे जारी रखा जाना चाहिए।
डॉ. सुनीता सिंह, चिकित्सक

नर्मदांचल जल अभियान को शहर के गणमान्य लोगों का साथ तो मिल रहा है। बस प्रशासन से कुछ सहयोग की दरकार है। तालाब गहरीकरण के लिए मशीनों से खुदाई होना है। हमने एसडीएम कार्यालय में खुदाई की अनुमति के लिए आवेदन लगाया है। अनुमति मिलेगी तो तालाब गहरीकरण का काम तेज किया जाएगा ताकि यहां अधिक से अधिक जलभरण हो सके।
अजय सिंह राजपूत, सदस्य

सीड बॉल (बीज गोलियां )
नेचरल फार्मिंग करने का तरीका है। बिना -जुताई ,बिना -खाद ,बिना -रसायनों,बिना -निंदाई से होने वाली खेती है। बीजों को जब क्ले मिटटी की परत से 1/2 इंच से लेकर 1 इंच तक की गोल गोल गोलियां से सुरक्षित कर लिया जाता है उसे सीड बॉल कहते हैं। सीड बाल का उपयोग बिना जुताई, बिना जहरीले रसायनों और बिना गोबर के कुदरती खेती करने और मरुस्थलों को हरियाली में बदलने के लिए उपयोग में लाया जाता है।

क्ले क्या है?
क्ले मिट्टी वह है जो मिटटी के बर्तन और मूर्ति आदि को बनने में उपयोग में लाई जाती है। जो तालाब की तलहटी, नदी, नालों के किनारे जमा पाई जाती है। क्ले की खूबी यह है कि यह सर्वोत्तम खाद होती है। यह बहुत महीन, चिकनी होती है। इसकी गोली बहुत कड़क मजबूत बनती है। जिसे चूहा, चिडिय़ा तोड़ नहीं सकता है। इसमें बीज पूरी तरह सुरक्षित हो जाता है। सीड बॉल को हमेशा सुखा कर ही डालना चाहिए अनेक बार देखा गया है की गीली सीड बॉल को आसानी से चूहे आदि तोड़ लेते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो गर्मियों में सीड बॉल बना कर सूखा कर रख लेना चाहिए या खेत में बिखरा देना चाहिए। गीली सीड बाल को चूहों से बचाने के लिए ओपरी सतह पर लाल मिर्च की कोटिंग करने से वो सुरक्षित हो जाती हैं। इसका फायदा यह है कि यह गोली आम जंगली बीजों की तरह जमीन पर पड़ी रहती है बरसात या अनुकूल मौसम आने पर उग आती है।

अब आगे क्या
बारिश का मौसम दस्तक दे चुका है। नर्मदांचल जल अभियान के सदस्य अब पौधरोपण की तरफ अपना कदम बढ़ाएंगे। शहर के रिक्त मैदानों, सरकारी संस्थाओं के रिक्त मैदानों में पौधरोपण की योजना पर काम किया जाएगा। इसके लिए बड़े और जल्द जड़ पकड़कर पनपने वाले पौधों का चयन किया जाएगा।

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