- पचास वर्ष पुराने भवन की नींव हुई कमजोर, तीन दिन में खाली करने नोटिस
- गांधी सभा भवन ट्रस्ट के सचिव ने कहा, दुकानदारों ने कमजोर की भवन की नींव
- नीचे से कॉलम-बीम तोडक़र अपने मन मुताबिक कर लिया दुकानों में बदलाव
इटारसी। जयस्तंभ चौक (Jaistambh Chowk) पर बने अर्धशताब्दी पुराने गांधी सभा भवन (Gandhi Sabha Bhawan) को लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) खतरनाक घोषित कर चुका है, इसमें करीब एक दर्जन दुकानें हैं, कमजोर हो चुके भवन के गिरने का खतरा देखते हुए नगर पालिका ने इनमें काबिज दुकानदारों को तीन दिन का समय देते हुए दुकानें खाली करने का नोटिस दिया है, ताकि भवन को तोड़ा जा सके। संस्था के सचिव का कहना है कि दुकानदारों ने हमारे भवन की दुकानें मनमुताबिक करने के लिए नीचे बीम-कॉलम में बदलाव करके नींव कमजोर कर दी हैं, भवन ऊपर से कमजोर हो गया है। भवन में लोहे की छड़ें ज्यादा जंक खाकर खराब हो चुकी हैं एवं प्लास्टर भी गिर रहा है, स्लैब कांक्रीट में भी क्रेक आ चुके हैं, दुर्घटना की आशंका है।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी श्रीमती ऋतु मेहरा (Chief Municipal Officer Mrs. Ritu Mehra) ने कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग संभाग-1 नर्मदापुरम के 5 अगस्त 2024 के पत्र के संदर्भ में बताया है कि विभागीय निरीक्षण में यह पाया गया है कि उक्त भवन को लगभग पचास वर्ष हो चुके हैं, इन परिस्थितियों में गांधी सभा भवन का उपयोग किया जाना सुरक्षित नहीं है। पीडब्ल्यूडी ने इसे जीर्ण-शीर्ण घोषित किया है। सीएमओ ने निर्देश दिये हैं दुकानदार अपनी दुकानें तीन दिन में खाली करके कार्यालय को सूचित करें जिससे किसी प्रकार की जनहानि न हो, एवं भवन तोडऩे की अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
राज्य शासन के भी हैं आदेश
मध्यप्रदेश शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग मंत्रालय भोपाल (Madhya Pradesh Government, Ministry of Urban Development and Housing Department, Bhopal,) से भी गांधी सभा भवन ट्रस्ट की जर्जन बिल्डिंग को तोडऩे एवं जन-धन हानि को रोकने के आदेश आए हैं। विभाग के उपसचिव आरके कार्तिकेय (Deputy Secretary RK Karthikeya) ने सीएमओ को संबोधित आदेश भेजा है। गांधी सभा भवन ट्रस्ट का तकनीकि स्तर पर स्थल निरीक्षण में पाया गया है कि भवन अत्यंत जर्जर है एवं करीब 53 वर्ष पुराना है।
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का हवाला
गांधी सभा भवन ट्रस्ट के सचिव संतोष गुरयानी (Santosh Gurayani) ने कहा कि ट्रस्ट ने स्वयं एसडीएम के कार्यालय में एक आवेदन लगाया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई जर्जर भवन गिरता है, तो मकान मालिक के साथ ही प्रशासन को भी इसमें जवाबदार माना जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे पुराने भवन अभी अच्छी स्थिति में है, लेकिन यह जर्जर हो गया है।
दुकानदारों ने की मनमानी
सचिव संतोष गुरयानी ने कहा कि इसमें काबिज दुकानदारों ने अपनी दुकानों को मनमाने तरीके से बदलाव किया है और नीचे कॉलम-बीम को तोडक़र नींव को कमजोर कर दिया है जिससे बिल्डिंग हिलने लगी है, जबकि शहर में इससे पुराने भवन भी सुरक्षित हैं। मनमाने तरीके से तोडफ़ोड़ करने के कारण यह भवन कमजोर हुआ और इसे जांच के बाद लोक निर्माण विभाग ने असुरक्षित घोषित किया है।
भवन में हैं एक दर्जन दुकानें
गांधी सभा भवन में कुल एक दर्जन दुकानें संचालित हैं। इसके प्रथम तल पर पंजाब नेशनल बैंक भी संचालित था जो यहां से स्थानांतरित हो गया है। अब ट्रस्ट के पास भी आय के साधन नहीं हैं, क्योंकि जो दुकानदार किराया देते हैं, वह बहुत ही कम है। सचिव कहते हैं कि हमें दुकानदारों से मुआवजा भी चाहिए, क्योंकि इनको तोडफ़ोड़ करके भवन में बदलाव करने के कोई अधिकार ही नहीं हैं।
इनका कहना है…
हमारे ट्रस्ट के पास इतना पैसा नहीं है कि हम भवन को पुन: बना सकें, दुकानदारों से हम मुआवजा लेंगे, क्योंकि भवन मजबूत है, इन्होंने नीचे तोडफ़ोड़ करके इसे कमजोर किया है।
संतोष गुरयानी, सचिव
राज्य शासन के निर्देश हैं, लोक निर्माण विभाग भी इसे सर्वे करके जर्जर घोषित कर चुका है, उसी के पालन में हमने दुकानदारों को तीन दिन में दुकानें खाली करने का नोटिस जारी किया है।
ऋतु मेहरा, सीएमओ नपा इटारसी