पंकज पटेरिया। हम जिंदा है हमे जिंदगी की जीत पर यकीन है। यह पुख्ता अहसास ही हमारी जीत है। इस दम से हम मुंह तोड़ जबाव दे सकते है,स्याह स्याह तकलीफ देह हालातो का। हिम्मते मर्दा मदद दे,खुदा। बचपन से सुनते सुनाते आए है ये पंक्ति। जिस भी दर्शनिक संत ने सन्देश दिया होगा, वह यकीनन ईश्वर के भेजे फ़रिश्ते होंगे। सीधा साधा सार यह है कि हम खुद हिम्मत रखे ईश्वर तो हमारा मददगार है ही। लेकिन हम खुद ही हिम्मत हारने लगते है,यही से पस्त होने लगते है,गिरने लगता है मनोबल। जबकि हमारी हिम्मत में ही हमारी ताकत है, इसी मे स्थित शक्ति का विराट सहस्त्रो रश्मियों वाला सूर्य जो अतल की गहराई के अंधेरे को अहम चकनाचूर कर देती है। भर देती है उजालों से। यह कठोर सत्य है क्रूर काल दानव रोज लील रहा है बेगुनाह मासूम जिंदगियां। यह सत्य है रोज कुम्हला कर झर रहे है असमय फूल। लेकिन यह भी सच्चाई है कि रोज रंगबिरंगे सुंदर फूलो से भर रही है क्यारियां। रात कितनी संगीन गमगीन गुजरे लेकिन सुबह उतनी ही खूबसूरत रंगीन होती है।भयानक महामारी ने मानवता सिसक रही है। लेकिन यह याद रखा जाना बेहद जरुरी है,डर के आगे जीत ही होती है। विश्व युद्ध, हीरो शिमा नागासाकी की दर्द नाक त्रासदी,सुनामी बाढ़, भूकंप अनेक महामारी हादसे गुजरी दुनिया लेकिन जितने बार उजड़ी उतनी बार उठ कर फिर खड़ी हुई है। हम फिर खडे होंगे मजबूती से। यह सच है जब मुश्किल आती है, तब नकारात्मक तत्व सिर उठाने लगते है उनका एक ही मोटो होता है, अफवाहें फैला, गलत पोस्ट डाल येन केन प्रकारेण जनता को गुमराह करना हौसला कमजोर करना,ताकि हम टूटने लगे, और ऐसे तत्व अपने मंसूबे पूरे कर सके ।बहुत नाज़ुक और चुनौती भरा दौर कामयाबी नाकामयाबी साथ चलती है, हम सजग रहे ,चौकस रहे, और इस आसन्न संकट के मौके पर हिम्मत रखे, और रखे ईश्वर पर भरोसा। आंखो के समुंदर से लथपथ है आसमान की चादर। लेकिन जिदंगी की फसल लहलहाती रहेगी। रोज सुबह पुण्य सलिला सलिला के चरण पखारेगी। सांझ दीप बालने आयेगी। रोज गूँजेंगी प्रभाती,रोज उठेगी मंदिरो आरती। सहज याद आजाती है। भोपाल की प्रखर कवियित्री लेखिका कवियत्री श्रुति कुशवाहा की कालजयी
कविता की ये जब छा जाता है घुप्प अंधेरा, तो उड़ आते है जुगनू उग आते है तारे। लिहाजा याद रखिए
जिंदगी की जीत पर यकीन रखीए।
पंकज पटेरिया, वरिष्ठ पत्रकार कवि
संपादक, शब्द ध्वज, ज्योतिष सलाहकार
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