माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय, साहित्यिक जीवन, प्रमुख रचनाएँ, प्राप्त पुरस्कार जाने सम्पूर्ण जानकारी
माखनलाल चतुर्वेदी का जीवन परिचय (Biography of Makhanlal Chaturvedi)
माखन लाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल सन 1889 को मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के वाबई नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित नन्दलाल चतुर्वेदी और इनकी माता का नाम सुंदरीबाई था। माखनलाल चतुर्वेदी एक गरीब परिवार से थे जिसकी वजह से इनका बचपन काफी गरीबी और दुःख से भरा बीता लेकिन इतनी परेशानी बाद भी ये अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी।
माखनलाल चतुर्वेदी की शुरुआती शिक्षा उनके ही गांव वाबई से ही हुयी थी। इन्होंने अपने घर पर ही स्वयं ही के के द्वारा ही अध्ययन करके अंग्रेजी,गुजराती, बंगला,संस्कृत आदि भाषाओं पर ज्ञान हासिल किया। जब ये मात्र 17 साल के थे तभी ये एक स्कूल में अध्यपक के रूप में कार्य करने लगे। अघ्यापक के रूप में इन्होंने लगभभ 4 साल कार्य किया।
कवि माखनलाल चतुर्वेदी भारत के महान राष्ट्र कवियों में से एक कवि हैं। जिन्होने अपने सुख को त्यागकर भारत देश को आगे बढाने में अपना जीवन बीता दिया। कवि माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य और राष्ट्रीय भावनाओं से परिपूर्ण होने के कारण इन्हें भारत की आत्मा भी कहा जाता था।
इन्होनें भारत छोड़ो आन्दोलन और असहयोग आन्दोलन जैसी कई गतिविधियों में आगे बढ् कर भाग लिया था। साथ ही इन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ कई आंदोलन किये जिसकी वजह से इनको कई बार जेल भी जाना पड़ा यह महात्मा गांधी जी के द्वारा बताये गए मार्गो पर ही हमेशा चलते रहें और इनके द्वारा लिखित रचनाओं में भी देश के प्रति प्रेम साफ दिखता हैं।
यह त्याग और बलिदान पर विश्वास रखने वाले पहले एक ऐसे कवि थे जिन्होंने अपनी कविताओं में त्याग और बलिदान का रंग घोल दिया । माखनलाल चतुर्वेदी एक महान लेखक कवि के साथ साथ एक वरिष्ठ साहित्यकार भी थे। इन्होंने अपनी पहचान एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी बनायीं। जिन्हे आज दुनिया एक स्वतंत्रता सेनानी पहचान साहित्यकार के रूप मे जानती हैं।
इनकी भाषा सरल तथा ओज से भरी थी इनकी भाषाओं में हिंदी के साथ उर्दू और फ़ारसी के शब्दों का प्रयोग देखने को मिलता हैं। जिनमें अलग तरह की सरलता और मिठास हैं। इनकी शब्दो में देश के प्रति प्यार एक दम साफ दिखाई देती हैं। अगर शैली की बात करें तो, गति शैली के साथ साथ विचारात्मक और भावात्मक शैली देखने को मिलती हैं।
माखनलाल चतुर्वेदी साहित्यिक जीवन (Makhanlal Chaturvedi Literary Life)
माखन लाल चतुर्वेदी ने सन 1910 में अध्यापक का कार्य छोड़ कर पत्र-पत्रिकाओं के संपादन में लग गये। जहा पर इन्होंने कर्मबीर और प्रभा नामक राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं का वर्णन किया। सन 1913 में इन्होंने प्रभा नामक पत्रिका का वर्णन किया। साथ ही सन 1916 में माखनलाल चतुर्वेदी लखनऊ के अधिबेशन के दौरान विद्यार्थियों के साथ महात्मा गांधी तथा मैथली शरण गुप्त जी से भी मुलाकात की।
जब महात्मा गांधी जी ने अहसहयोग आंदोलन सन 1920 में प्रारम्भ किया तब महा कौशल से पहली बार जिनकी गिरफ़्तारी हुयी थी वो माखनलाल चतुर्वेदी ही थे। सन 1930 के दौरान जब सविनय अवज्ञा आंदोलन हुआ तब भी माखनलाल चतुर्वेदी को गिरफ्तार कर लिया गया था। माखनलाल चतुर्वेदी को अपने देश के प्रति बहुत प्रेम था, जिसकी वजह से ही इनको कई बार जेल का सामना करना पड़ा था। ये हमेशा ही अंग्रेजो के खिलाफ खड़े रहते थे।
यह भी पढें : भारतीय क्रिकेटर रजत पाटीदार जीवन परिचय…
माखनलाल चतुर्वेदी जी की प्रमुख रचनाएँ (Major compositions Of Makhan Lal Chaturvedi)
माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी हुई रचनाएँ के नाम
- घर मेरा हैंं।
- यौवन का पागलपन।
- बलि पंथी से।
- उपालम्भ।
- दूबो के दरबार।
- चलो छिया-छी हो अंतर में।
- उषा के संग,पहिन अरुणिमा।
- मधुर मधुर कुछ गा दो मालिक।
- भाई,छेड़ो नहीं मुझे।
- यह किसका मन डोला।
- संतोष(स्मृतियां)।
- साहित्य के देवता (नाटक )
- कृष्णार्जुन युद्ध।
- मरण ज्वार।
- माता।
- बीजुरी काजल आज रही।
- समय के पांव।
- अमीर इरादे-गरीब इरादे।
- हिमतिरंगनी।
- लड्डू ले लो।
- कैदी और कोकिला।
- गिरी पर चढ़ते धीरे-धीरे।
- सिपाही।
- वरदान या अभिशाप।
- जवानी।
- तुम मिले।
- मुझे रोने दो।
- तुम एक हो।
माखनलाल चतुर्वेदी प्राप्त पुरस्कार (Award Received By Makhan Lal Chaturvedi)
माखन लाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार देव पुरस्कार सन 1943 में हिमकिरीटनी के लिए दिया गया। इसके 11 साल बाद सन 1954 में हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार की स्थापना होने के बाद इनको हिमरंगिनी के लिए हिंदी साहित्य का प्रथम अवार्ड मिला था।
इसके एक साल बाद इनको हिमतिरिंगनी के लिए सन 1955 में हिंदी साहित्य के अकादमी अवार्ड से नवाजा गया। माखन लाल चतुर्वेदी को सन 1959 पुष्प की अभिलाषा तथा अमर राष्ट्र जैसी महान रचनाओं के लिये सागर विश्वविद्यालय ने इन्हें डी. लिट्. की उपाधि से सम्मानित किया। भारत सरकार ने इन्हें सन 1963 में पदमभूषण सम्मान से सम्मानित किया ।
मध्यप्रदेश के भोपाल में स्थित माखन लाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय इन्ही के नाम पर स्थापित किया गया।
माखनलाल चतुर्वेदी जी का स्वर्गवास (Makhan Lal Chaturvedi’s Death)
हिंदी साहित्य के महान रचनाकार माखनलाल चतुर्वेदी जी का स्वर्गवास 30 जनवरी सन 1968 को हुआ। मृत्यु के समय माखनलाल चतुर्वेदी 79 वर्ष के थे।