अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज के महत्त्व पर परिचर्चा का किया आयोजन

Aakash Katare

इटारसी। शासकीय महात्मा गाँधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय (Government Mahatma Gandhi Memorial Post Graduate College, Itarsi) में संचालित आंतरिक गुणवत्ता उन्नयन प्रकोष्ठ के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज के महत्त्व पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन करके की गई। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इटारसी शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. प्रखर पाटिल, कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में अध्यक्ष डॉ. राकेश मेहता, प्राध्यापक डॉ. सुसन मनोहर, डॉ. अरविन्द शर्मा, डॉ. अर्चना शर्मा, डॉ. पी.के. अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किये।

डॉ. प्रखर पाटिल द्वारा मोटे अनाज के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। मोटे अनाज से शरीर में शुगर की मात्र के बारे में बताया, साथ ही मोटा अनाज कम मेहनत व कम वर्षा में पैदा होने वाली फसल है। एवं विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों जैसे सूरजमुखी राइस तेल, केनोला तेल,स्वास्थ्य  के लिए सबसे अच्छे होते हैं।

जबकि पाम आयल शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने ग्लायसिं इंडेक्स के बारे में बताया एवं बाजरा के सेवन से मधुमेह पर नियंत्रण रहता है। गृहविज्ञान की विभागाध्यक्ष श्रीमती मीरा यादव ने कहा की मोटे अनाज का उपयोग करने से शरीर में अम्ल की मात्रा नहीं बढ़ती है, पाचन तंत्र एवं शरीर स्वस्थ रहता है, शरीर को महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।

मोटे अनाज की फसल को आसानी से पैदा किया  जा सकता है साथ ही विद्यार्थियों को जंक फ़ूड ना खाने के  लिए भी प्रेरित किया।

डॉ. सौरभ पगारे द्वारा भोजन सुरक्षा, पोषक सुरक्षा एवं मोटे अनाज के बारे में बताया और कृषि अनुसन्धान एवं विभिन्न प्रकार की फसलों के बारे में भी जानकारी प्रदान की।

कार्यक्रम के अध्यक्षीय उदबोधन में प्राचार्य डॉ. राकेश मेहता ने कहा की संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मोटे अनाज का प्रस्ताव मार्च 2021 में रखा गया जिसमें 72 देशों ने इसे स्वीकार किया जिसमें भारत भी एक देश रहा।

एशिया व अफ्रीका में मोटा अनाज अभी उत्पन्न होता है, उन्होंने बताया की वैश्विक स्तर पर भी मोटे अनाज को मान्यता मिल गई है। सभी मोटे अनाज घास फूल के पौधे कहलाते हैं, जिसमें बाजरा का कार्बन फुटप्रिंट सबसे कम होता है जो पर्यावरण को भी कम नुकसान करता है।

इस प्रकार मोटा अनाज को सुपर फूड कह सकते हैं। इसमें खास सेहतमंद गुण होते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर मोटे अनाज के अंतर्गत आठ फसलें शामिल हैं। इसमें ज्वार, बाजरा, रागी,सावां, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू को मोटा अनाज की फसल कहा जाता है।

ग्लुटिन, गेहूं, एल्गी, मोटे अनाज हेतु स्लोगन दिया की “मोटे अनाज का मोटा फायदा”A इस प्रकार परिचर्चा के माध्यम से डॉ. अरविन्द शर्मा नें बताया कि मोटे अनाज को पहले गरीबों का भोजन था जो अब अमीरों का भोजन बनता जा रहा है।

डॉ. सुसन मनोहर ने बताया की दक्षिण भारत में चावल की जगह मोटे अनाज का उपयोग भोजन में किया जाने लगा है। डॉ. अर्चना शर्मा नें बाजरे की खिचड़ी के बारे में बताया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. दिनेश कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पी के अग्रवाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ. ओ.पी.शर्मा, श्रीमति सुशीला  वरवड़े, डॉ. अन्सुता कुजूर, डॉ. मनीष चौरे, डॉ. बस्सा सत्यानारयना, श्रीमति श्रुति, डॉ. जितेन्द्र, डॉ. सौरभ नेमा एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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