आखिर कहां गई हैं, वे पंद्रह फाइल जो वकील के पास भी नहीं और नपा के पास भी नहीं

आखिर कहां गई हैं, वे पंद्रह फाइल जो वकील के पास भी नहीं और नपा के पास भी नहीं

इटारसी। अब वकील और नगर पालिका अधिकारी के मध्य फाइलों को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं। सीएमओ का कहना है कि वकील को नगर पालिका के कार्यों से मुक्त कर दिया है, लेकिन उन्होंने करीब पंद्रह फाइलें हमें वापस नहीं की हैं, जबकि वकील का कहना है कि वे सारी फाइलें दे चुके हैं और नगर पालिका का कोई भी दस्तावेज उनके पास उपलब्ध नहीं है।

बता दें कि यह मामला उस वक्त सामने आया था जब नगर पालिका के अधिवक्ता भूरेसिंह भदौरिया ने सीएमओ को एक पत्र देकर उनको कार्यमुक्त करने के निवेदन के साथ ही नगर पालिका पर दस्तावेज नहीं देने और कोर्ट में नहीं पेश होने पर नाराजी जतायी थी। मामले में सीएमओ ने अधिवक्ता को कार्यमुक्त करते हुए लिखा कि इस निकाय अंतर्गत प्रचलित न्यायालयीन प्रकरणों की पैरवी हेतु आपको नियुक्त किया था, जिसके तहत आपने निकाय अंतर्गत प्रचलित न्यायालयीन प्रकरणों में पैरवी की तथा समय-समय पर आपके द्वारा निकाय से प्रकरणों की मूल फाईलें भी चाही गईं जो आपको उपलब्ध करायी गई। निकाय के रिकार्ड अनुसार विभिन्न माध्यमों से आपको कुल 45 फाईलें दी गईं। आपके द्वारा जो नस्तियां प्राप्त हुई हैं, मूल नस्ती से मिलान करने पर 11 नस्तियां अप्राप्त हैं। जिसकी सूची पत्र के साथ संलग्न है। कृपया आप तत्काल उक्त 11 नस्तियां संजय सोहनी, कार्यालय अधीक्षक को सौंपे।

हालांकि सीएमओ ने बताया कि नपा को 45 में से केवल 41 नस्तियां मिलीं, श्री भदौरिया ने जो नस्तियां सौंपी हैं, वे वर्तमान में चल रहे कुछ अन्य प्रकरणों की मिलाकर 11 हैं, जबकि 45 में से भी 4 नस्तियां, इस तरह से 15 नस्तियां नहीं मिली हैं। सीएमओ ने कार्य से मुक्त करते हुए निर्देशित किया है कि आप तत्काल आपके पास लंबित फाईलें इस निकाय को प्रदान करें ताकि आपके लंबित देयकों के भुगतान किया जा सके।

ऐसा था भदौरिया का पत्र

नगर पालिका के अधिवक्ता भूरे सिंह भदोरिया ने स्वयं को कार्य मुक्त किए जाने सीएमओ को लिखे पत्र में कहा कि उनके द्वारा अनेक प्रकरणों में नगर पालिका का पक्ष मजबूती से रखा गया है। वर्तमान में उनके द्वारा बार-बार निवेदन, आवेदन, व्हाट्सएप मैसेज के माध्यम से अवगत कराए जाने के बावजूद भी नगर पालिका द्वारा रुचि न लेने के कारण एवं दस्तावेज उपलब्ध न कराए जाने के कारण, न्यायालय में गवाही न देने आने के कारण नगर पालिका का पक्ष सही रूप से न्यायालय में नहीं रख पा रहे हैं, जिसके चलते अब ज्यादा निर्णय नगर पालिका के विरुद्ध आ रहे हैं जिससे वह अत्यधिक आहत हैं और ऐसी स्थिति में नगर पालिका परिषद के अधिवक्ता के कार्य का निर्वहन करने में असमर्थ हंै।

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AUTHORRohit

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