फाल्गुन की एक शाम, कविता के नाम में काव्य रंग की फुहार

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मप्र जन चेतना लेखक संघ के तत्वावधान में ‘फाल्गुन की एक शामÓ कविता के नाम कार्यक्रम ईश्वर रेस्टोरेंट में आयोजित किया। अध्यक्षता उपन्यासकार, कथाकार, कवि, लेखक, चिंतक एवं विचारक अशोक जमनानी, नर्मदापुरम ने की। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नीलम गांधी मुख्य अतिथि थीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में मप्र जन चेतना लेखक संघ के जिला संयोजक डॉ सतीश शमी मंचासीन थे।

कवि विनोद दुबे ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मानसरोवर साहित्य समिति के अध्यक्ष राजेश दुबे ने स्वागत उद्बोधन दिया। मप्र जन चेतना लेखक संघ के जिला संयोजक डॉ सतीश शमी ने संस्था की ओर से आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया। अजय सूर्यवंशी, राजेश दुबे, अनुराग दीवान, तरूण तिवारी तरु, आशीष दुबे बब्लू ने भी अतिथियों का स्वागत किया। प्रथम चरण का संचालन म प्र जन चेतना लेखक संघ के प्रांतीय संयोजक विनोद कुशवाहा ने किया। द्वितीय चरण में आयोजित काव्य गोष्ठी में आमंत्रित कवियों एवं कवयित्रियों मनोरमा पांडे मना, स्वर्णलता छेनिया, टीआर चौलकर, रामवल्लभ गुप्त, साजिद सिरोंजवी, मोहन झलिया, बीबीआर गांधी, डॉ सतीश शमी, मदन तन्हाई, विनोद दुबे बिंदु, मिलिंद रोंघे, गुलाब भूमरकर, विनय चौरे, राजेन्द्र रावत, कमल पटेल कमल, अविनेश चंद्रवंशी, श्याम अजनेरिया, तरुण तिवारी तरु, हनीफ खान की प्रस्तुति से श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए।

राष्ट्रपति पुरस्कार शिक्षक रामाशीष पांडे के गाए गीतों ने भी श्रोताओं का मन मोह लिया। संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि नीलम गांधी ने कहा कि इस कार्यक्रम ने उनके मन पर अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने आगे कहा कि संस्था को उनका रचनात्मक सहयोग हमेशा मिलता रहेगा। वरिष्ठ साहित्यकार अशोक जमनानी ने कहा कि कार्यक्रम में उनकी सहभागिता से वे स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। होली के संदर्भ में अपनी बहुचर्चित कविता से श्रोताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में अशोक जमनानी बेहद सफल रहे। फाल्गुन की एक शाम, कविता के नाम के अंतर्गत द्वितीय चरण में आयोजित काव्य गोष्ठी का संचालन कवि चन्द्रेश मालवीय ने तथा आभार प्रदर्शन विनोद कुशवाहा ने किया।

कार्यक्रम में डॉ पवन पाटिल, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक रामाशीष पांडे, अजय सूर्यवंशी, राकेश गौर, पं संतोष तिवारी, सुनील जनोरिया, अखिल दुबे, अनुराग दीवान, मोहम्मद नईम, बृजमोहन सिंह सोलंकी, जुगल किशोर शर्मा, रूपेन्द्र गौर विशेष रूप से उपस्थित थे। अंत में दो मिनट का मौन रख कर विपिन जोशी परंपरा की कवयित्री श्रीमती सावित्री शुक्ल निशा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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