इटारसी। मप्र (MP) तप रहा है, लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर मार्च (March) के महीने में मई (May) जैसी गर्मी (Summer) और लू का मौसम क्यों बना हुआ है। इसके पीछे कई वजह बतायी जा रही हैं।
दरअसल, गर्मी ज्यादा पडऩे के पीछे ज्यादातर लोग ग्लोबन वार्मिंग (Global warming) को ही जिम्मेदार मानते हैं। जबकि तात्कालिक तौर पर मौसम में होने वाले बदलाव पर ध्यान नहीं दिया जाता है। इस वर्ष मार्च से ही मौसम में आए बदलाव का बड़ा कारण राजस्थान (Rajasthan) तरफ से आने वाली हवाएं मानी जा रही हैं। राजस्थान के रेतीलों इलाकों से आने वाली हवा प्रदेश में गर्मी बढ़ाती हैं जो पाकिस्तान (Pakistan) की तरफ से आती हैं।
मार्च से लेकर मध्य जून तक सूरज (Sun) धरती (Earth) के करीब आते जाता है। सूरज जैसे-जैसे धरती के करीब आता है, उससे निकलने वाले रेडिएशन (Radiation) से धरती पर गर्मी अधिक होती है। ये गर्मी शहरों में इसलिए अधिक महसूस की जाती है क्योंकि यहां सड़कें अब सीमेंट कांक्रीट (Cement concrete) की बनने लगी हैं, जिससे भूमि के भीतर वर्षा जल नहीं जा पाता और पानी का जमीन में कम भंडारण से धरती की ऊपरी सतह जल्दी सूख जाती है। यह भी गर्मी का एक कारण होता है।
अभी हालात ऐसे हैं कि मार्च में ही मध्यप्रदेश के कई हिस्से लू की चपेट में आ गये हैं। नर्मदांचल लगातार लू का कहर झेल रहा है। खरगौन में तो पारा 43 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। मौसम विभाग ने मध्यप्रदेश के खरगौन, नर्मदापुरम, ग्वालियर, खंडवा, सतना एवं दमोह जिलों में लू की भी चेतावनी जारी की है। पूरे मप्र का मौसम शुष्क है।
मौसम विभाग के अनुसार अगले चौबीस घंटों में इन जिलों में लू का असर रहेगा। 23 और 24 मार्च को भी मौसम में खास बदलाव आने की संभावना नहीं है। नर्मदापुरम में लगातार लू की स्थिति बनी हुई है।