स्वदेशी दीपावली मनाएं,गरीबों की थाली सजाएं : नपाध्यक्ष

स्वदेशी दीपावली मनाएं,गरीबों की थाली सजाएं : नपाध्यक्ष

इटारसी। नगर पालिका परिषद (Municipal Council) के अध्यक्ष पंकज चौरे ने नगर के लोगों को दीपावली पर्व (Diwali festival) की शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि दीपावली स्वदेशी त्योहार है, अत: हमें अपने स्वदेशी व्यापारी भाईयों के त्योहार का भी ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि धनतेरस (Dhanteras) के साथ मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) एवं भगवान गणेशजी (Lord Ganesha) की आराधना का महापर्व दीपावली प्रारंभ हो रहा है।
इस शुभ अवसर पर स्वदेशी दीपावली मुिहम की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें आपसे आग्रह है कि दीपोत्सव को स्वदेशी माध्यमों से मनाकर हर ओर खुशहाली फैलाने में सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी इस जनव्यापी मुहिम से जुड़कर स्वदेशी दीपावली मनाएंगे और गरीब भाई-बहनों की थाली सजाएंगे। उन्होंने आग्रह किया है कि देवी-देवताओं की मूर्तियां, दीपक, मोमबत्ती, सजावटी सामान स्वदेशी खरीदे जिससे दीपावली की चमक निखरेगी। पारंपरिक सभ्यता भी जीवंत रहेगी।
उन्होंने कहा कि दीपावली में स्वदेशी खरीदना कोई निराधार देशभक्ति का पाठ नहीं है। हमें सोचना चाहिए कि क्या सात समुद्र पार से आए दीये और पुष्प, दीपावली के मर्म को समझ पायेंगे? पर अगर भावनाओं को दर-किनार भी कर दें, तो यह बात ध्यान देने योग्य है की स्वदेशी खरीदने से, स्थानीय अर्थव्यवस्था (Economy) एवं हमारे लोकल कुम्हारों, हस्त शिल्पियों एवं किसानों को प्रोत्साहन मिलता है। केवल इतना ही नहीं, याद रखें कि हर बार जब हम लोकल वस्तु खरीदते हैं, तो हम पर्यावरण को बचाने में भी एक महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। आमतौर पर स्थानीय उत्पादों का कार्बन फुटप्रिंट (पदचिह्न), महासागरों को पार कर आई वस्तुओं के कार्बन फुटप्रिंट से कम होता है।
श्री चौरे ने आग्रह किया है कि अपने घर, ऑफिस एवं दुकान आदि को, प्रकाशमय करने हेतु मिट्टी के दीयों का ही प्रयोग करें। मिट्टी के दीये संसार को दैदीप्यमान करके पुन: मिट्टी में मिल जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते। प्रेम से ढले हुए दीपक जब आप खरीदते हैं, तो कुम्हारों के घर भी रोशन होते हैं। आप माता लक्ष्मी एवं गणेशजी की नवीन प्रतिमाओं अपने पड़ोस के कुम्हार द्वारा निर्मित मिट्टी की प्रतिमा ही चुनें। हाथ से तराशी हुई, मिट्टी की मूर्ति में तो स्वयं भगवान भी जीवंत हो जाते हैं। तोरण, रंग-बिरंगी कंदील एवं अनेकानेक अलंकरणों से दीपावली की रात और भी जगमगाने लगती है, साधारणत: या तो लोग यह सजावटी वस्तुयें स्वयं बनाते थे या फिर इस देश के चप्पे-चप्पे में रहने वाले कुशल कारीगरों से खरीदते थे। उस दौर को वापस लाइये और प्लास्टिक से निर्मित सजावट को अलविदा कहिये। इस दीपावली, अपने घर को गेंदे, गुलाब, राजनीगंधा, आम और अशोक के पत्तों, इत्यादि लोकल फूल-पत्तियों से सजाइये। उन्हीं में दीपावली की खुशबू है।

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AUTHORRohit

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