इटारसी। जनहित में प्रकाशित समाचारों को लेकर पत्रकार जम्मूसिंह उप्पल, दिनेश थापक, पलास सुरजन संपादक देशबंधु, गिरिराज चाचा मुद्रक दैनिक देशबंधु भोपाल एवं पत्रकार खिलावन चंद्राकर तत्कालीन ब्यूरोचीफ दैनिक देशबंधु समाचार पत्र के विरुद्ध दायर 500 एवं 501 में दर्ज प्रकरण में परिवादी द्वारा लगाये गये आरोप न्यायालय में सिद्ध नहीं पाये जाने पर सभी पत्रकारों को दोषमुक्त किये जाने का आदेश न्यायालय निधि एम पिंटो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी इटारसी जिला नर्मदापुरम ने विगत 1 दिसंबर को घोषित किया।
नगरकथा के पत्रकार जम्मूसिंह उप्पल एवं दिनेश थापक के विरुद्ध न्यायालय में मानहानि के प्रकरण में धारा 500 एवं 501 भदस पवन अग्रवाल द्वारा वर्ष 2011 में प्रकरण दायर किया था एवं दूसरा प्रकरण 1129 एवं 1130 दायर किये थे। तीसरा प्रकरण 1131 दैनिक देशबंधु के संपादक पलास सुरजन, मुद्रक गिरिराज चाचा एवं तत्कालीन ब्यूरोचीफ दैनिक देशबंधु खिलावन चंद्राकर के विरुद्ध दायर किया था। इस प्रकरण में पवन अग्रवाल ने उनके निर्माणाधीन होटल के संबंध में प्रकाशित समाचारों को अपनी मानहानि का मानते हुए दायर किया था। इस प्रकरण में पूर्व में न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी राजेश देवलिया ने निर्णय पारित करते हुए आरोप सिद्ध नहीं होने पर सभी पत्रकारों को दोषमुक्त किया था।
न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध परिवादी ने अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय में अपील दायर कर न्यायालय से आग्रह किया था कि अधीनस्थ न्यायालय द्वारा उसका पक्ष नहीं सुना वह और भी दस्तावेज प्रस्तुत कर न्यायालय में अपना पक्ष रखना चाहता था। इस आधार पर अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश द्वारा पुन: इस प्रकरण को सुनवाई के लिए न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी इटारसी के न्यायालय को सुनवाई के लिए आदेशित किया और पुन: सभी पत्रकारों को समंस जारी किये और सभी ने न्यायालय में अपने अधिवक्ता रघुवंश पाण्डेय के माध्यम से प्रकरण में पुन: साक्ष्य प्रस्तुत किये जिसके आधार पर उन्होंने समाचारों को जनहित में प्रकाशित किया जाना बताया था।
विगत 11 वर्षों से चल रहे इस प्रकरण में न्यायालय निधि एम पिंटो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी इटारसी के न्यायालय में लगातार सुनवाई होती रही और परिवादी के बयान और उनके द्वारा प्रस्तुत तीन गवाहों द्वारा दी गई गवाही से कहीं यह प्रमाणित नहीं हो सका कि पत्रकारों ने परिवादी पवन अग्रवाल के विरुद्ध समाचार प्रकाशित कर उनकी मानहानि की है, क्योंकि वे समय-समय पर पवन अग्रवाल द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होते रहे हैं जिससे पवन अग्रवाल प्रमाणित करने में असफल रहे कि समाचारों को प्रकाशित करने में समाज में उनकी मानहानि हुई और प्रकरण क्रमांक 1129/2014, प्रकरण क्र-1130/2014, प्रकरण क्र-131/2014 जो कि विगत 11 वर्षों से चल रहे थे इन प्रकरणों में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच हुई बहस के बाद न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि परिवादी द्वारा लगाये गये आरोप वह प्रमाणित नहीं कर पाया है, न ही उसकी समाचारों के प्रकाशन से मानहानि हुई है।
1 दिसंबर 2022 को न्यायालय निधि एम पिंटो न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी इटारसी द्वारा 5 पत्रकारों को प्रस्तुत तीन अलग-अलग प्रकरणों में दोषमुक्त करने का आदेश जारी किया। प्रकरण की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विगत 11 वर्षों में न्यायालय प्रथम श्रेणी इटारसी के न्यायालय में दो बार इस प्रकरण पर पत्रकारों के पक्ष में आदेश पारित हुए। न्यायालय के इस निर्णय का पत्रकारजगत ने स्वागत करते हुए इसे न्याय की जीत बताया। पत्रकार मुकेश गांधी ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा कि सत्य प्रताडि़त हो सकता है परंतु अंतत: जीत सत्य की होती है।
विदित रहे कि वर्ष 2011 में सतना नगर निगम के एक प्रकरण में मप्र हाईकोर्ट जबलपुर के माननीय न्यायाधीश द्वारा जनहित में प्रकाशित समाचार को मानहानि की श्रेणी में नहीं मानते हुए पत्रकारों के पक्ष में आदेश पारित किया था। जब सर्वोच्च अदालत जनहित में प्रकाशित समाचार को मानहानि की श्रेणी में नहीं मानता है, इसके बावजूद पत्रकारों को प्रताडि़त करने के लिए अकारण मानहानि के प्रकरणों का प्रस्तुत किया जाना पत्रकारों को प्रताडि़त करने के सिवाए कुछ और नहीं हो सकता। केंद्र सरकार को पत्रकारों के हित में इस प्रकार के नियम बनाना चाहिए ताकि जनहित में प्रकाशित समाचारों को मानहानि की श्रेणी से अलग रखा जा सके।