पुरा काल से अमृतकाल तक हिन्दी की दशा-दिशा पर परिचर्चा

पुरा काल से अमृतकाल तक हिन्दी की दशा-दिशा पर परिचर्चा

इटारसी। शासकीय कन्या महाविद्यालय इटारसी (Government Girls College Itarsi) में आज हिंदी दिवस (Hindi Diwas) पर पुरातन काल से आजादी के अमृत काल तक हिंदी की दशा एवं दिशा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया। स्वागत उद्बोधन में प्राचार्य डॉ आरएस मेहरा ने कहा कि हिन्दी महज भाषा नहीं बल्कि भारतीय को एकता के सूत्र में पिरोती है। यह दुनियाभर के भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोडऩे का काम करती है।
मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व प्राध्यापक डॉ. श्रीराम निवारिया में कहा कि संविधान के 17 वे अध्याय में संघ की भाषा देवनागरी लिपि में हिंदी की बात का प्रावधान तो किया है किंतु 15 वर्षों तक शासन प्रशासन का कार्य अंग्रेजी भाषा में ही करने की बाध्यता रखी गई, यह बाध्यता 75 वर्षों के बाद भी बनी हुई है। अंग्रेजी के वर्चस्व के पीछे सत्ता से चिपके लोगों का बड़ा षड्यंत्र है जबकि देश में अंग्रेजी मातृभाषा वाले 2.26 लाख लोग मात्र हैं।

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अंग्रेजी विभाग प्रमुख डॉ. हरप्रीत रंधावा ने कहा कि मंदारिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। आज हर भारतीय का कर्तव्य है कि हिंदी भाषा का उपयोग कर उसमें नए प्रयोग कर उसे विश्व की सबसे प्रभावशाली भाषा बनवाएं। संचालन कर रहे डॉ. शिरीष परसाई ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विज्ञान तकनीकी एवं अनुसंधान के क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने की आवश्यकता है। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. नेहा सिकरवार ने कहा कि यह भाषा हमारे देश के संस्कार और संस्कृति का प्रतिबिंब और देश की एकता और अखंडता का प्रतीक है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. संजय आर्य ने कहा कि हिन्दी भाषा हमारे भारत देश की पहचान है। हिन्दी दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य हिन्दी भाषा के खोते जा रहे अस्तिव को बचाने का एक प्रयास भी है।
कार्यक्रम में डॉ हरप्रीत रंधावा, श्रीमती मंजरी अवस्थी, श्रीमती पूनम साहू, डॉ संजय आर्य, डॉ. शिरीष परसाई, अमित कुमार, स्नेहांन्सु सिंह, डॉ. नेहा सिकरवार, रविन्द्रर चौरसिया, डॉ. मुकेश बिष्ट, डॉ. श्रद्धा जैन, डॉ. शिखा गुप्ता, राघवेंद्र सिंह तथा अनेक छात्राएं उपस्थित रहीं।

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AUTHORRohit

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