हड़ताल पर डॉक्टर्स, सरकारी अस्पताल में मरीजों की बढ़ी परेशानी

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मप्र मेडिकल अफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले आज बुधवार को सरकारी अस्पताल के 11 चिकित्सक हड़ताल पर रहे। अचानक चिकित्सकों की कमी होने से अस्पताल में मरीजों की परेशानी बढ़ गई। यहां पदस्थ संविदा चिकित्सकों के भरोसे मरीजों का इलाज हुआद्ध अधीक्षक डॉ. आरके चौधरी को भी ओपीडी संभालने उतरना पड़ा। कुछ मरीजों को निजी चिकित्सकों के यहां जाकर उपचार लेना पड़ा। इस प्रदेश व्यापी हड़ताल को लेकर एसोसिएशन और सरकार के बीच वार्ता चल रही है, जल्द ही सरकार हड़ताल स्थगित कराने का प्रयास कर रही है।

यह है मामला

चिकित्सकों के लिए डीएसीपी योजना हेतु गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट लागू करने को लेकर यह आंदोलन किया जा रहा है। एसोसिएशन सरकार से 31 मार्च 23 की रिपोर्ट को लागू करने की मांग पर अड़ा हुआ है। इस संबंध में एसोसिएशन ने मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी एवं कलेक्टर को पत्र देकर बुधवार को हड़ताल प्रारंभ कर दी। मंगलवार को एसो. के पदाधिकारियों ने अधीक्षक डा. आरके चौधरी को सूचना पत्र दिया था।

एसोसिएशन के अनुसार शासकीय-स्वशासी चिकित्सक महासंघ के बैनर तले प्रदेश के 10 हजार चिकित्सकों ने अपनी कई वर्षों से लंबित मांगों को लेकर 17 फरवरी 2023 को प्रदेशव्यापी आंदोलन किया था। मुख्यमंत्री के निर्देश एवं आश्वासन पर जनहित में सारे चिकित्सकों ने उस वक्त हड़ताल स्थगित कर दी थी जिसे मुख्यमंत्री के निर्देश एवं आश्वासन पर जनहित में स्थगित कर समस्त चिकित्सक कार्य पर लौटे थे। योजना को लागू करने 17 फरवरी को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

उच्च स्तरीय समिति की कई दौर की बैठकों और चर्चा के बाद महासंंघ पदाधिकारियों की सहमति से समिति का प्रतिवेदन सदस्यों के हस्ताक्षर के साथ 31 मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा को आगामी कार्रवाई हेतु सौंपा था। करीब दो माह बीतने के बावजूद समिति के प्रतिवेदन पर कोई कार्रवाई न होने से चिकित्सक नाराज हैं। आरोप है कि उच्च अधिकारियों द्वारा सर्वसम्मति से बने प्रतिवेदन के निर्णयों को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, इससे चिकित्सक भड़क गए हैं।

महासंघ ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति के सर्वसम्मति से प्रस्तुत प्रतिवेदन को लागू न कर प्रदेश के करीब 10 हजार शासकीय चिकित्सकों के साथ सरकार वादाखिलाफी कर रही है। इसे लेकर एसोसिएशन के बैनर तले बुधवार से चिकित्सकों की हड़ताल शुरू हो गइ है। चिकित्सकों ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के रवैए से महासंघ को भविष्य में पूरी तरह सेवा कार्य छोड़कर सड़क पर आने को मजबूर होना पड़ेगा, इससे मरीजों की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पडऩा तय है, इसे लेकर समिति की सर्वसम्मति से बने प्रस्ताव को जल्द लागू करने की मांग की गई है। 16 अप्रैल को सभी चिकित्सकों के संगठन महासंघ ने इंदौर में आयोजित महासम्मेलन में तय किया है कि आदेश न निकलने पर प्रदेश के सारे चिकित्सक स्थगित आंदोलन को 1 मई से प्रारंभ कर 3 मई से अनिश्चितकाल तक चिकित्सा सेवा कार्य बंद कर आंदोलन करेंगे।

यह चिकित्सक रहे हड़ताल में शामिल

इस हड़ताल में अस्पताल के 11 चिकित्सक हड़ताल पर रहे। स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. आभा जैन, कमलेश कुम्हरे, वंदना मोरे, सर्जिकल विशेषज्ञ डॉ. अर्पित त्रिवेदी, मेडीकल आफिसर डॉ. विकास जेतपुरिया, प्रियंक मिश्रा, डॉ. आशीष पटेल, डॉ. उदित भट्ट, धर्मेन्द्र सिंह पाटिल, संविदा मेडीकल आफिसर डॉ. अभिषेक अग्रवाल एवं डॉ. शशांक प्रताप सिंह चौहान हड़ताल पर चले गए हैं।

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