इटारसी। फटाकों में बम की लड़ी जिस प्रकार एक बार जलने के बाद विस्फोटक होती जाती है, उसी प्रकार किसी समुदाय के किसी सदस्य में प्रवेश के बाद में ओमिक्रॉन का आतंकी आगमन को रोकना नामुमकिन हो जाता है। यह बातें प्रयोग विज्ञान शिक्षक राजेश पाराशर (Science teacher Rajesh Parashar) ने होशंगाबाद जिला पंचायत के सीईओ मनोज सरियाम (CEO Manoj Sariam) के मार्गदर्शन में स्थानीय रेस्ट हाउस परिसर में आयोजित प्रदर्शनी में कही। प्रदर्शनी का उद्घाटन इटारसी एसडीएम मदन रघुवंशी (SDM Madan Raghuvanshi) ने किया।
दर्शकों ने पहले मॉडल में लगे प्रतीक कार्टूनों का प्रतीकात्मक आरटी पीसीआर टेस्ट किया। इसमें किसी को संक्रमण नहीं पाया गया। कुछ देर बाद इनके मुखिया कार्टून की लापरवाही से हुये संक्रमण के बाद जब उस समूह के अन्य लोगों का टेस्ट किया तो आखिरी छोर तक के प्रतीक कार्टून ओमिक्रॉन के आतंक का शिकार पाये गये।
मुख्य अतिथि मदन रघुवंशी (Chief Guest Madan Raghuvanshi) ने कहा कि मास्क का उचित प्रयोग ओमिक्रॅन के संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है। प्रदर्शनी के वर्किंग मॉडल आमजनता को सरलता से यह संदेश दे रहे हैं। करके सीखने का सिद्धांत संदेश को मजबूती देता है। इंजीनियर प्रखर पाराशर ने कहा कि पिछले वेरियेंट से हटकर ओमिक्रान का फैलाव पहाड़ी बाढ़ के समान है जो पल भर में ही विशाल क्षेत्र को संक्रमित कर सकता है। एमएस नरवरिया ने कहा कि नवंबर के अंतिम सप्ताह में इसका नामकरण होने के बाद 40 दिन बाद ही आज सारे विश्व में सबसे बदनाम नाम की श्रेणी में आ चुका है।
राजेश पाराशर ने संदेश दिया कि चूंकि मौसम बदलने के साथ इसके व्यवहार का आकलन होना बाकी है, इसलिये बचाव में ही समझदारी है। कहावत है कि डूबते को तिनके का सहारा, ठीक उस ही प्रकार तूफानी गति से पैर पसारते ओमिक्रॉन से बचने की ढाल, टीके की पूर्ण डोज के साथ मास्क का उचित इस्तेमाल ही है। प्रदर्शनी में कैलाश पटेल के साथ हरीश चौधरी ने सहयोग किया।