टिकट तक घमासान… विरोधियों, विरोध, चुनौतियां, दावेदारी से राह हुई कठिन

टिकट तक घमासान… विरोधियों, विरोध, चुनौतियां, दावेदारी से राह हुई कठिन

रोहित नागे, इटारसी

पिछले दिनों भोपाल में नर्मदापुरम की सीट को लेकर भारतीय जनता पार्टी में जो हुआ, उस घटना ने अनुशासित कार्यकर्ताओं की पार्टी वाली साख पर बट्टा लगाया है। नर्मदापुरम विधानसभा में सीट को लेकर विरोध पहली बार नहीं है। खासकर, वर्तमान विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा का विरोध तो 1990 से किसी न किसी तरह से किया जा रहा है, लेकिन वे हर बार टिकट पाने और चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं
इस बार राह थोड़ी कठिन लग रही है, क्योंकि विरोध तगड़ा है। हालांकि उनके समर्थक मानते हैं कि विरोध केवल टिकट वितरण तक रहेगा। एक बार घोषणा होने पर विरोधी दूसरे विधानसभा में काम करने चले जाएंगे और कुछ घर बैठ जाएंगे। बावजूद इसके भितरघात नहीं होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं ले सकता। अत: यह तो जाहिर है, राह आसान नहीं है। हालांकि यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कांग्रेस किसे टिकट देती है और उस प्रत्याशी को सब सपोर्ट करेंगे या फिर भाजपा से ज्यादा विरोध वहां होगा। यदि वहां भी विरोध होता है तो फिर नर्मदापुरम सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा।
गुरुवार को भोपाल में विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा के समर्थक और उनके उनकी ही पार्टी के विरोधी प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे थे। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी बात रखी। विरोधियों के पास केवल विरोध था, परिवारवाद और कार्यकर्ताओं की प्रताडऩा जैसी बात लेकर पहुंचे थे। जबकि पक्ष वाले विधायक की लोकप्रियता, उनके किये गये कामों की उपलब्धि लेकर पहुंचे थे। दोनों पक्ष आलाकमान को अपनी बात कितनी अच्छी तरह से समझा सके, यह तो टिकट की घोषणा होने पर ही पता चल सकेगा।
माना जा रहा है कि कल रविवार को नवरात्रि के प्रथम दिन भाजपा की अगली और कांग्रेस की पहली सूची जारी होने वाली है। वर्तमान विधायक के समर्थक और विरोधियों को अगली सूची में नर्मदापुरम का नाम होने की उम्मीद लग रही है। यदि ऐसा होगा तो कल के बाद या तो श्मशान सा सन्नाटा छाएगा या फिर कोई तूफान आएगा, इसकी अभी से कल्पना नहीं की जा सकती है।

तख्ती लेकर मौन प्रदर्शन किया

वर्तमान विधायक के विरोधियों ने भोपाल भाजपा प्रदेश कार्यालय में होशंगाबाद विधानसभा 137 से विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा को विधानसभा से टिकट ना देने के लिए प्रदेश कार्यालय में पं. दीनदयाल उपाध्याय एवं डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा के पास अपने हाथों में तख्ती रखकर मौन प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्रदेश चुनाव प्रभारी व केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी से भेंट कर अपनी बात रखी। नर्मदापुरम से प्रसन्न हर्णे, सुनील राठौर, अखिलेश खंडेलवाल, प्रांशु राने, डॉ राजेश शर्मा, अनिल बुन्देला, नीरज बरगले, कैप्टन करैया, दीपक महालहा, मनीष परदेशी, अनिल दुबे, विकास नारोलिया, मुकेश यादव, रेवेंद्र चौहान, राजकुमार खंडेलवाल, रूपेश राजपूत, अतुल भंडारी, गोपाल चौरे, संजय राजपूत, जयकुमार सेठी चौकसे, पिल्लू ठाकुर, माखन मीना, इटारसी नगर से दीपक अग्रवाल, शिवकिशोर रावत, संदेश पुरोहित, कल्पेश अग्रवाल, शैलेन्द्र दीक्षित, उमेश पटेल, जोगिंदर सिंह, मोहित मैना, जमना मेहतो, कुलदीप रावत, महेश यादव, रमाकांत चौधरी, गोलू मालवीय, राघवेन्द्र पांडे, अनंत वर्मा, दीपक बस्तबार, श्याम सोनी, प्रदीप रैकवार, अजय अग्रवाल, विजय अग्रवाल, अर्पित रावत, हर्षल गालर, रामेश्वर गालर, सौरभ वर्मा, दीपक पवार, संजय असवारे, जितेन्द्र साहू, यशवंत गौर उपस्थित रहे। ग्रामीण से कुशल पटेल, भगवती प्रसाद चौरे, नीलेन्द्र पटेल, ब्रजेश चौधरी, विजय बाबू पटेल, नवनीत मलैया, राहुल सिंह सोलंकी, रंजीत पटेल,यश बाथरे, पुष्पेंद्र सिंह चौहान, ब्रजेश व्यास सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे।

फिलहाल अग्नि परीक्षा है

विधायक डॉ सीतासरन शर्मा अपने क्षेत्र में फिलहाल अग्नि परीक्षा का सामना कर रहे हैं। चुनाव में जाने से पहले चुनौतियां उनके समक्ष खड़ी हैं। पहली चुनौती टिकट पाने की है। फिर विरोध के स्वर को शांत करने की। ये दो बड़ी चुनौतियां हैं, जनता के पास जाना इसलिए चुनौती नहीं है, क्योंकि वे हर रोज जनता से रूबरू होते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में सरताज सिंह जैसे मजबूत और दिग्गज नेता को पराजित करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने यह भी किया। अत: माना जा रहा है कि नर्मदापुरम की टिकट में देरी सिर्फ इसलिए हो रही है कि उनके नाम पर कैंची चलाने में आलाकमान असहज महसूस कर रहा है। एकदूसरे का इंतजार हो रहा हो राजनैतिक पंडित मानते हैं कि दोनों पार्टी टिकट घोषित करने में एकदूसरे का इंतजार कर रही हैं।
इस बार नर्मदापुरम विधानसभा में कांग्रेस से विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा के भाई गिरिजाशंकर शर्मा भी दावेदार हैं। हालांकि गिरिजाशंकर शर्मा कह चुके हैं कि यदि भाजपा डॉ. सीतासरन शर्मा को टिकट देगी तो वे चुनाव नहीं लड़गे। हो सकता है कि कांग्रेस भाजपा के टिकट का इंतजार कर रही हो। हालांकि कांग्रेस से टिकट के प्रति आश्वस्त होकर एक और दावेदार संजय गोठी ने तो जनसंपर्क भी प्रारंभ कर दिया है। वे अपने समर्थकों के साथ गांवों और शहरों में लगातार दौरा करके कांग्रेस के लिए समर्थन मांग रहे हैं।
दावेदारी के बाद अब सिर्फ विरोध विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा का विरोध करने वालों में कई स्वयं भी दावेदार हैं। इनमें नर्मदा अस्पताल के संचालक डॉ. राजेश शर्मा, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अखिलेश खंडेलवाल भी हैं। हालांकि अब उनके बयान बदल गये हैं। ये सब एकजुट होकर पहले टिकट काटने के लिए प्रयास कर रहे हैं। दावेदारी की बात नहीं कर रहे बल्कि कह रहे हैं कि शर्मा परिवार को छोड़कर किसी को भी टिकट दे दें।
जबकि विधायक समर्थकों का स्पष्ट कहना है कि टिकट तो डॉ. शर्मा को ही मिले। इनमें दोनों शहरों की नगर पालिकाओं के दर्जनों पार्षद, नगर पालिका अध्यक्ष, जनपद अध्यक्ष, सरपंच, उपसरपंच और ग्रामीण जनप्रतिनिधि तक शामिल हैं।


चलते-चलते…
भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता सरताज सिंह के निधन हो जाने के बाद राजनीति के एक युग का अवसान हो गया।

Rohit Nage

रोहित नागे
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