इटारसी। सोमवार से छठ पर्व (Chhath festival 2021) की शुरूआत की जा रही है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। महिलाएं हर साल कार्तिक मास (Kartik Maas) के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठ पूजा उत्सव मनाती है। इस पर्व शुरूआत नहाय खाय से शुरू होती है। इस उत्सव की शुरुआत 8 नवंबर से होगी और 10 नवंबर की सूर्य को अघ्र्य देने की परंपरा है। इस दिन नहाय-खाय है, मंगलवार को खरना होगा। बुधवार को डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा और गुरुवार की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य देकर ये व्रत पूरा होगा।
पहला दिन नहाय-खाय
ये पर्व कुल 4 दिन का होता है। इसमें सूर्य भगवान को अघ्र्य देने का विशेष महत्व है। व्रत के पहले दिन नहाय-खाय का होता है। इस दिन नमक वर्जित होता है। व्रत करने वाला स्नान के बाद शुद्ध होकर नए वस्त्र धारण करता है। लौकी की सब्जी और चावल खासतौर पर चूल्हे पर पकाते हैं, पूजन के बाद प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।
दूसरे दिन होता है खरना
दूसरे दिन खरना होता है, इस दिन सूर्यास्त के बाद गाय के दूध की खीर बनाई जाती है। पीतल की हांडी में खीर बनाते हैं। जब व्रत करने वाला व्यक्ति ये खीर ग्रहण करता है, उस वक्त अगर थोड़ी सी भी आवाज हो जाए तो वह भक्त वहीं रुक जाता है और फिर खीर ग्रहण नहीं करता है। इसलिए जब भी व्रत करने वाला खरना का पालन कर रहा होता है, तब कोई भी आवाज आसपास नहीं की जाती है। इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है।
तीसरे दिन शाम को देते हैं सूर्य अघ्र्य
तीसरे दिन शाम को सूर्य अघ्र्य दिया जाता है। इस दिन सुबह से व्रत करने वाला निराहार और निर्जल रहता है।अघ्र्य के समय सूप में फल, केले की कदली और ठेकुआ भोग के रूप में रखकर सूर्य भगवान को अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद व्रत करने वाला पूरी रात निर्जल रहता है।
चौथे दिन सुबह दिया जाता है अघ्र्य
चौथे दिन यानी सप्तमी तिथि की सुबह सूर्योदय के समय सूर्य भगवान को अघ्र्य देकर अपने व्रत का पारण करता है। इस अघ्र्य के साथ व्रत पूरा होता है। यह व्रत बहुत ही कठिन होता है, इसके नियम भी काफी सख्त हैं। निष्ठा से और नियम से जो इस व्रत का पालन करता है, उसे छठ माता की कृपा मिलती है और उसके जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।