शहर में हर तरफ़ एक ही अफसाना है।
महफ़िल में न कोई हम जैसा परवाना है।।
खंजर तो यूं ही बदनाम है दुनियां में ,
हमारा कातिल तो यूं तेरा शरमाना है।
जब से खोए हैं हम इश्क के खुमार में ,
दिल का हर एहसास अब मस्ताना है।
न कोई रंज न ही शिकवा ज़माने से जो ,
कहता है हमें कि ये तो इक ’दीवाना’ है।
अदिति कपूर टंडन
आगरा