इटारसी। दीपावली के दूसरे दिन आज कई जगह गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की गई। खासकर पशु पालकों में इसका विशेष महत्व होता है। गोवर्धन पूजा प्रकृति एवं पशुओं के लिए हमारे प्रेम का पर्व है। आज गोवर्धन पूजा के दिन पशु पालक अपने घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन देव बनाते हैं और अपने पशुओं को खासतौर पर सजाया जाता है। पूजा के बाद विशेष भोग लगाया जाता है। पौराणिक कथानुसार गोवर्धन पूजा भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी है। इसके पीछे मान्यता है कि श्री कृष्ण ने इंद्रदेव के प्रकोप से गोकुल वासियों को बचाने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। इससे सभी गोकुलवासियों की रक्षा हुई और इंद्रदेव का घंमड टूटा। तभी से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है। इस दिन लोगों के घरों में भी ग्वालबाबा का प्रतीक चिह्न ले जाने की परंपरा है। इसे स्थानीय बोली में झाड़ कहते हैं, जिसमें तुलसी का पौधा, घंटी बंधी होती है। लोग इसकी पूजा करके आशीर्वाद ग्रहण करते हैं।
पशुओं को बीमारी और दुखों से बचाने का जतन
पशु पालकों में मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के दिन ग्वाल बाबा के समक्ष पशुओं को लाकर आशीर्वाद दिलाया जाता है तो वे सालभर रोगों से बचे रहते हैं। इस दिन ग्वालबाबा मंदिर के पास मेला लगाया जाता है। इस वर्ष भी नयायार्ड रोड स्थित ग्वाल बाबा मंदिर में पशुओं का मेला लगा। ग्राम पंचायत मेहरागांव एवं अनेक शहरी क्षेत्र के सैकड़ों पशु पालक यहां पहुंच और ग्वाल बाबा की पूजा अर्चना की। इस अवसर पर ग्वाल बाबा की वर्षों से साधना करते आ रहे पाल परिवार का स्वागत किया। इस परिवार से दीपक पाल के शरीर में ग्वाल बाबा का आना माना जाता है। उन्होंने परिक्रमा कर समस्त जनमानस और उनके पशुधन को स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद दिया।