: पंकज पटेरिया –
पूजा पाठ, प्रार्थनाएं बेटियां, दोनों घर की दीपिकाएं बेटियां।
यज्ञ वेदी जिंदगी इनकी,पावन समिधा ये बेटियां
स्वागत कीजिए पखार चरण, मंगल कामनाएं बेटियां।
प्रसंग वश अपनी कविता पंक्ति से शुरूआत करते हुए
प्रसंग है महानायक अमिताभ बच्चन और उनकी धर्म पत्नी जया बच्चन, ने अपना प्रिय बंगला अपनी प्यारी बेटी श्वेता के नाम कर एक शानदार मिशाल सकल समाज के सामने पेश कर यह यह शुभ संदेश ही दोहराया, बेटा बेटी ईश्वर की सौगात है दर्जा बराबर है। उनके भेद भाव करना उचित नहीं ,बल्कि क्रूर अपराध है।
आज के पितृ प्रधान शिक्षित समाज में बेटा ही कुलदीपक माना गया है। इस विश्वास के साथ की बेटा ही सब कुछ है, बुढ़ापे की लाठी है, बेटी तो पराया धन दूसरे घर जाएगी। लिहाजा उसे लड़के कमतर माना जाता है। जबकि यह ,स्वार्थ सूचक मानसिकता है।
यह ज्वलंत प्रमाण हमारे देश समाज में उपस्थित है।आज हमारी बेटियो ने दमदारी उड़ान भर आसमान नापा है, सागर के तल पर पर जाकर अपने। खूब गहरे हस्ताक्षर किए और सीमा लांघ दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए। भारत माता के स्वर्ण मुकुट हिमालय की ऊंची चोटी पर पहुंच गौरव ध्वाजा फहराई।
यह नजीर कायम की बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटो से कम नही है। फिर भी आज पढ़ा लिखा पित्त सत्ता समाज स्वार्थ वश अपने ही मकड़जाल में उलझा है।
पौराणिक युग में सीता, सावित्री, सरस्वती, लक्ष्मी अनसुइया के साथ आजाद भारत में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री किरण बेदी, महादेवी वर्मा, बछेंद्री पाल, मैरी कॉम, साक्षी मलिक तू इधर अपने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री उमा भारती, मुख्य सचिव निर्मला बुच, एडीजीपी अनुराधा शंकर सिंह, प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ऐसी स्वयं सिद्ध महिलाएं हैं।
किसी की बेटियां हैं जिन्होंने कीर्तिमान स्थापित किये है। फिर वे कहां किस क्षेत्र में बेटों से कम या पीछे हैं।
हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के अनुसार पिता की संपत्ति पर बेटी का बेटों के बराबर का हक होता है। पर कही कही यह भी देखने के अवसर आए हैं कि वह अपने इस हक से वंचित है। तथाकथित पुरुष प्रधान सत्ता में अपनी सक्रिय खोल से अब तो बाहर आ जाना चाहिए और बेटी बेटों को समान दर्जा देना चाहिए।
महानायक अमिताभ बच्चन ने इस दिशा में एक महान उदाहरण प्रस्तुत कर फिर समाज को समाज को जागने की कोशिश की है। बिग बी स्वागत करते हुए हार्दिक धन्यवाद और अभिवादन।
अंत में इंदौर की प्रख्यात कवियत्री ज्योति जैन की बेटी कविता से साभार लेकर यह तीन कविता पंक्तियों का यहां उल्लेख करना उपयुक्त होगा।
वे शप्तपर्णी है जो सात शाखो की गोलाई में फैला देती ठंडाई छाव और सुकून।
अस्तु उम्मीद है कुछ नई सोच लेगा समाज।
जय भारत वंदेमातरम।
नर्मदे हर

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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