इटारसी। विभिन्न धर्मों में आमतौर पर त्योहारों के आयोजन की तिथि चंद्रमा, नक्षत्र या सूर्य की आकाश में स्थिति से निश्चित की जाती है। मुस्लिम धर्म में खुशियां मनाने वाला त्योहार ईद उल फितर भी अमावस्या के बाद पश्चिम में सूर्य डूबने के बाद दिखने वाले हंसियाकार चंद्रमा के दीदार से जुड़ा है।
इस बारे में खगोल वैज्ञानिक जानकारी देते हुये नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि भारत में चंद्रमा सूर्यास्त के बाद कल 21 अप्रैल को आकाश में क्षितिज से कुछ ऊपर रहेगा। पृथ्वी से लगभग 3 लाख 80 हजार 700 किमी दूर रहते हुये यह 1.6 प्रतिशत चमक के साथ पतले आकार में दिख रहा होगा। अगर बादल बाधा न बनें तो इसे देखा जा सकेगा।
सारिका घारू ने बताया कि खगोल विज्ञान के अनुसार चंद्रमा को पृथ्वी से किसी एक स्थिति में देखने के बाद अगली बार वही स्थिति 29.5 दिन बाद आती है, इसे एक माह माना जाता है। जैसे अमावस्या के बाद पहला चांद दिखने के 29.5 दिन बाद उस तरह का चांद दिखेगा। अगर 12 महीने से इसे गुणा करा जाये तो साल 354 दिन का होगा। लेकिन पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने से बना साल 365 दिनों का होता है। इस तरह इन दोनों गणनाओं में लगभग 11 दिन का अंतर रह जाता है। अगर इसका समायोजन न किया जाये तो हर साल कोई खास त्योहार 11 दिन पहले आता जाता है।
सारिका ने बताया कि केवल चंद्र कैलेंडर का पालन किये जाने की मान्यता के कारण से लगभग 33 साल बाद लगभग उस ही दिनांक के आसपास त्यौहार की पुनरावृत्ति होती है । इस ही प्रक्रिया के अनुसार लगभग 33 साल बाद ईद पुन: मध्य अप्रैल में 17 अप्रैल 2056 को रहेगी। इसके पहले 16 अप्रेल 1991 को ईद मनाई गई थी।
बीते तीन सालों में ईद-
2020-25 मई 2020
2021-14 मई 2021
2022-3 मई 2022
सूर्यास्त के बाद कब तक दिखेगा चांद
भौगोलिक स्थिति के अनुसार सूर्यास्त के बाद दिखकर यह विभिन्न नगरों में यह अलग -अलग समय तक चांद को देखा जा सकेगा। यह समय चांद के अस्त होने का समय है। चांद तो सूर्यास्त के बाद लालिमा कम होते ही दिखने लगेगा ।
नगर चंद्रास्त का समय शाम
पटना 7:32
अंबिकापुर 7:36
सिंगरौली 7:40
रीवा 7:46
जबलपुर 7:49
छिंदवाड़ा 7:52
इटारसी 7:57
नर्मदापुरम 7:58
भोपाल 8:00
बुरहानपुर 8:02
खरगौन 8:05
इंदौर 8:06
झाबुआ 8:11
जयपुर 8:13
नागौर 8:22