हमराह बनने की चाहत
दिल में रही
पर एक इनायत कर
कि…
तेरे अश्कों के
हकदार हम बनें
हमदम तो न बन सके
पर एक आरजू है
कि…
तेरे गमगुसार हम बनें
हमनवां की ख्वाहिश
अधूरी रही
पर एक तमन्ना है
कि…
तेरी हर गुफ्तगू में
ज़िक्र – ए – यार हम बनें ।
– गमगुसार _ हमदर्द
अदिति टंडन
आगरा