इटारसी। नर्मदापुरम जिले के सोहागपुर में स्थित जवाहरलाल नेहरू स्मृति महाविद्यालय के वार्षिक समारोह में सामाजिक एवं साहित्यिक अवदान के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। शांतिधाम शमशान घाट गोकुल नगर खेड़ा इटारसी को नया स्वरूप देने के लिए एवं सामाजिक कार्यों को मान्यता प्रदान करते हुए महाविद्यालय परिवार द्वारा नगर के समाजसेवी पत्रकार प्रमोद पगार को सम्मानित किया गया।
मुख्य अतिथि अरुण पटेल भोपाल शिक्षा समिति के अध्यक्ष, आचार्य मनमोहन मुद्गल, पूर्व विधायक सविता दीवान शर्मा ने यह सम्मान पगारे को प्रदान किया। उन्हें शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि नर्मदापुरम संभाग के समाजसेवी प्रमोद पगारे का जन्म 29 जनवरी 1959 को भूदानी आंदोलन के कार्यकर्ता महादेव पगारे के यहां इटारसी में हुआ। पगारे ने एमए हिंदी, एमए राजनीति शास्त्र, एमए इतिहास तक शिक्षा ग्रहण की। हिंदी शॉर्ट हैंड में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। सन् 2011 में प्रमोद पगारे के जीवन में परिवर्तन आया, तत्कालीन कलेक्टर निशांत बरबड़े ने इटारसी शमशान घाट की दुव्र्यवस्था को देखकर जन भागीदारी का सुझाव दिया।
रोटरी क्लब, नगर पालिका एवं शहर के नागरिकों ने मिलकर शांति धाम शमशान घाट जन भागीदारी समिति बनाई। जिसके द्वारा 2 करोड़ रुपए से ऊपर के कार्य अब तक कराए गए। यह शमशान घाट आईएसओ प्रमाणित है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर एवं आसपास के बड़े शहरों में भी इतना खूबसूरत एवं साफ सुथरा श्मशान घाट नहीं है। यहां आने के बाद आदमी को यह कल्पना ही नहीं होती कि वह शमशान घाट में आया है अथवा किसी बगीचे में। प्रमोद पगारे सदस्य कार्यकारी के रूप में इस श्मशान घाट के कार्य का दायित्व देख रहे हैं और करीब 13 कर्मचारी निरंतर कार्य करते हैं। कोरोना महामारी के समय इस श्मशान घाट में 470 चिताओं का अंतिम संस्कार करवाया।
जब पिता पुत्र को और पुत्र पिता को बेटा मां को कंधा नहीं दे रहा था। गोकुल नगर खेड़ा में स्थित शांति धाम शमशान घाट सदैव नागरिकों के आकर्षण का केंद्र रहता है। जो भी बाहर का व्यक्ति इटारसी आता है वह शमशान घाट देखे बिना नहीं जाता है। इस श्मशान घाट में वह सभी सुविधाएं उपलब्ध है जो जरूरी है। प्रमोद पगारे विभिन्न सामाजिक और धार्मिक संगठनों से जुड़े हैं।