पहले जिंदगी के अनुभवी, फिर देश के भविष्य के समक्ष लोक कला की प्रस्तुति

Post by: Rohit Nage

Presentation of folk art first to the experiences of life, then to the future of the country.
  • राजस्थान के रोजे खान और उनकी टीम के सूफी गायन और लोकनृत्य ने बांधा समा
  • वरिष्ठ नागरिक मंच और वर्धमान स्कूल परिवार ने कराया लोक कला का आयोजन

इटारसी। राजस्थान के मांगणियार रोजे खान और उनके लोककला मंडल ने जीवन का अनुभव ले चुके, वरिष्ठ नागरिकों और फिर देश के भविष्य बच्चों को अपनी कला से परिचित कराया। सीनियर सिटीजंस को सोनासांवरी रोड स्थित साईंकृपा मैरिज गार्डन के सभागार में तो स्कूली बच्चों को वर्धमान स्कूल के सभागार में इन कलाकारों ने अपनी लोककला से रूबरू कराया। इस अवसर पर कलाकारों का सम्मान भी किया गया।

रोजे खान और उनकी टीम ने केसरिया बालम पधारो म्हारे देश से शुरुआत की और छाप, तिलक पर आकर समापन किया। इस दौरान दमादम मस्त कलंदर, निमूड़ा निमूड़ा जैसे सूफी लोक संगीत से छात्र छात्राओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इन गीतों पर नृत्यांगना लीलावती ने भवाई नृत्य एवं तलवार तथा कांच के टुकड़ों के ऊपर नृत्य किया तो रेखा देवी ने कालबेलिया नृत्य करके तालियां बटोरीं।

वर्धमान पब्लिक स्कूल में शुरुआत राग मांडवी पर आधारित स्वागत गीत से हुई। उसके उपरांत भवाई नृत्य लीलादेवी ने कटार और कांच के टुकड़ों पर करते ही हाल तालियों से गूंज उठा। देवू खान ने मोरपंत पर मनमोहक प्रस्तुति दी। रेखा देवी ने पल्लो लटके का लोक संस्कृति के स्वरूप को प्रस्तुत किया।

रोजे खान और उनकी टीम के छाप तिलक और दमादम मस्त कलंदर, निमूड़ा-निमूड़ा की जोरदार प्रस्तुति देते ही छात्र छात्राओं को थिरकने पर मजबूर हो गए। कार्यक्रम के पूर्व में वर्धमान स्कूल के संचालक प्रशांत जैन ने कलाकारों का स्वागत किया एवं परिचय स्पिक मैके के समन्वयक सुनील बाजपेई ने दिया। कार्यक्रम में श्रीमती रचना जैन, श्रीमती प्रमिला बाजपेई पूर्व प्राचार्य झांसी, कवियत्री ममता बाजपेई, जयप्रकाश सोनी, प्रशस्ति जैन आदि उपस्थित रहे।

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