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कमाल है : नन्हीं उम्र में लगाता है माहिर खिलाड़ियों जैसे शॉट

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खिलौनों से खेलने की उम्र में पृथ्वी लगा रहे चौंके, छक्के

इटारसी।हुनर कभी भी उम्र का मोहताज नहीं रहा है। ना ही सफलता के लिए कोई उम्र निर्धारित होती है। जब कोई काम पूरी शिद्दत से किया जाता है तो निश्चित सफलता होती है और हुनर तो फिर यदि बचपन में विकसित होने लगे तो पूत के पांव पालने में दिखने वाली कहावत चरितार्थ होती है।
यह कहावत चरितार्थ हो रही है, होशंगाबाद जिले के ग्राम बंसीखेड़ी में। यहां का महज 3 वर्ष का बच्चा पृथ्वी, अपने क्रिकेट के शौक को पेशेवर बनाने के लिए मेहनत कर रहा है। खिलौनों से खेलने की उम्र में पृथ्वी सिंह चौहान(Prithvi Singh Chauhan) ने गेंद-बल्ले से खेलना प्रारंभ कर दिया था। उस वक्त उसकी उम्र महज 14 माह की थी। उसे इस खेल से प्रेम इतना कि घर के आंगन से लेकर छत और फिर मैदान तक केवल क्रिकेट को ही जी रहा है। उसके पिता नीलेश चौहान ने बचपन से उसके इस शौक को परखा और उसे बढ़ावा दिया। पृथ्वी सिंह चौहान(Prithvi Singh Chauhan) किसी सिद्धहस्त बल्लेबाज से कम तकनीक नहीं दिखाता। इस वक्त तो वह महेन्द्र सिंह धोनी के हेलीकॉप्टर शॉट(Helicopter shot) का अभ्यास कर रहा है। पृथ्वी की अभी उम्र महज 3 वर्ष की है और हुनर पेशेवर क्रिकेटर(Cricakter) जैसा है। उसके पिता को पूरा विश्वास है कि उनका बेटा एक दिन बड़ा क्रिकेटर बनेगा। उसके हुनर की जानकारी मिलने के बाद नर्मदापुरम संभाग क्रिकेट एसोसिएशन के एमपीसीए के सिलेक्शन कमेटी के चयनकर्ता अनुराग मिश्रा भी ग्राम बंसीखेड़ी पहुंचे और उसके खेल को परखा।

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हर शॉट का करता है अभ्यास
पृथ्वी सिंह चौहान अपनी उम्र से कहीं आगे जाकर हुक(hook), पुल (pull), स्ट्रेट ड्राइव(straight drive) जैसे शॉट्स लगाता है। उसके पिता उसके घर में खेलने के वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं। जब ऐसे ही कुछ वीडियो सोशल मीडिया के जरिए क्रिकेटर रविन्द्र जडेजा(Cricketer Ravindra Jadeja) के पास पहुंचे तो वे पृथ्वी के इतने मरीद हो गये कि उन्होंने पृथ्वी को जामनगर आने का निमंत्रण दे दिया। हालांकि लॉकडाउन(Lockdown) की वजह से पृथ्वी के पिता नीलेश चौहान(Father Nilesh Chauhan) उसे जामनगर तो नहीं लेकर जा सके, लेकिन उनका कहना है कि परिस्थति सामान्य होने पर वे उसे रविन्द्र जडेजा से मिलाने जामनगर गुजरात अवश्य लेकर जाएंगे।

धोनी (Dhoni)हैं पृथ्वी के आदर्श
पृथ्वी सिंह चौहान यूं तो अभी बहुत छोटे खिलाड़ी हैं, लेकिन युवा और नये क्रिकेटर्स की तरह महेन्द्र सिंह धोनी(Mahendra Singh Dhoni) उनके भी आदर्श खिलाडिय़ों में शुमार हैं। पृथ्वी उनकी तरह ही खेलने का प्रयास करते हैं। किस गेंद को कहां खेलना है, यह हुनर वे बखूबी जानते हैं। इन दिनों वे अपने पसंदीदा खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धोनी के हेलीकाफ्टर शॉट्र्स का अभ्यास कर रहे हैं। रविन्द्र जडेजा ने उनके वीडियो देखकर उनको प्रशिक्षण दिलाकर उनकी कला को और बेहतर तरीके से निखारने का आश्वासन दिया है। पिता हर दिन उसको अभ्यास कराते हैं, ताकि वह अपने खेल को निखार सके।

पिता करते हैं चंदन की खेती
पृथ्वी सिंह चौहान के पिता नीलेश चौहान अपने बेटे को बड़ा क्रिकेटर बनाने का सपना संजोय हैं। उनको इस बात का पता है कि क्रिकेट के प्रशिक्षण और बच्चे को आगे बढ़ाने में काफी पैसा खर्च होना है, वे परंपरागत किसानी करते थे, लेकिन आगामी दिनों में पैसों की जरूरत पडऩे पर अभाव के कारण बच्चे के खेल प्रशिक्षण और शिक्षा में पैसों की कमी न आए, इसके लिए उन्होंने चंदन की खेती करना प्रारंभ कर दिया है। वे चाहते है कि उनको बच्चो बड़ा होकर देश के लिए क्रिकेट खेले, यही कारण है कि वे उसे आगे बढ़ाने के लिए कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं।

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पृथ्वी के लिए अनुराग मिश्रा के जज्बात

मैं छोटू ‘कलाम’ …. मैं पृथ्वी सिंह राजपूत ‘धोनी’ बनूंगा ..
होशंगाबाद से 40 किलोमीटर दूर बंसीखेड़ी गांव का यह रहने वाला छोटा सा नन्हा सा खिलाड़ी उम्र 3 वर्ष जिसका वीडियो देखकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रविंद्र जडेजा (International player Ravindra Jadeja) ने उन्हें जामनगर गुजरात आमंत्रित किया है, तो हमने सोचा उससे ही जाकर मिला जाये। रिमझिम बारिश के बीच संजय यदुवंशी एवं यशवंत सिंह राजपूत के साथ यात्रा आरंभ हुई। होशंगाबाद से बाबई आते आते वर्षा ऋतु ने अपना रौद्र रूप ले लिया। सिरवाड़ कस्बे के आगे नाला उफान पर था, यात्रा अवरुद्ध हो गई। कार आगे नहीं जा सकती थी। मैंने संजय से कहा कि वापस चलो आगे नहीं जा पाएंगे, फिर संजय ने बाबई से उसके भाई धर्मेन्द्र यदुवंशी की बोलेरो जीप बुलाई। पानी काफी था फिर भी जीप निकल गई। भीषण बारिश और धान के लहलहाते खेतों के बीच पृथ्वी के घर पहुंच ही गए। खिड़की से पृथ्वी अपने पिताजी के साथ गाड़ी रोकने के लिए हाथ दे रहा था। वह मासूम, नन्हा सा खिलाड़ी उसे पता ही नहीं है ऊंचाइयां क्या होती हैं, किंतु धोनी बनने का जज्बा उसके अंदर उद्वेलित हो रहा है। बीज के अंकुरण होने के पश्चात वृक्ष तो बनता ही है। ‘पृथ्वी को उसके भविष्य की शुभकामनाएं’

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