विशेष : रामेति राम

विशेष : रामेति राम

– विनोद कुशवाहा :

राम तुम्हारा वृत्त
स्वयं ही काव्य है ,आ
कोई कवि बन जाये
सहज ही सम्भाव्य है ।

अंततः दशहरा सम्पन्न हो गया । रावण को भी जला दिया गया और किसी कवि ने कुछ इस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त की –

दिया कुछ इस तरह से जल गया
कि पूरे घर में कालिख मल गया ,
दशहरा देख कर खुश हो रहे बच्चे
समझते हैं ये कि रावण जल गया ।

जो सब में रमण करें वे हैं राम । जो रुदन करे उसका नाम है रावण । वैसे रावण का नाम दशानन था । भगवान शिव से उलझने के बाद उसने सुलझने के लिये शिव तांडव स्रोत की रचना की । इस बीच रुदन के कारण उसका नाम रावण पड़ गया । विस्तार से कथा फिर कभी ।

राम – रावण युद्ध 84 दिन ( इस अवधि में 15 दिन युद्ध नहीं चला ) हुआ लेकिन राम और रावण के बीच केवल 9 दिन युद्ध चला पर रावण का वध दशमी को ही हुआ ।

युद्ध के बाद बावजूद वनवास के 20 दिन शेष रह गये थे । उसके बाद श्रीराम अयोध्या लौटे । यहां ये उल्लेखनीय है कि श्रीराम पैदल ही अयोध्या लौटना चाहते थे मगर विभीषण की जिद के चलते श्रीराम पुष्पक विमान से अयोध्या आये । देखा जाए तो श्री राम ने मात्र विभीषण की जिद ही पूरी की है ।

श्रीराम बहुत कम बोलते थे । राज्याभिषेक के बाद उन्होंने केवल एक बार ही जन सभा को सम्बोधित किया है ।

रामचरित मानस में श्रीराम के लिये बिहसि शब्द बीस बार आया है । जबकि कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अपने पूरे जीवन काल में उन्नीस बार हंसे और सत्रह बार मुस्कुराए हैं । उदाहरण के लिए यथा –

सुनत बिहसि बोले रघुबीरा
ऐसेहिं करब धरहु मन धीरा ,
अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई
सिंधु समीप गए रघुराई ।

कहा जाता है कि श्रीराम की ऊंचाई 10 फुट थी तो रावण की ऊंचाई 8 फुट थी । हालांकि चित्रकूट की शिलाओं पर बने उन निशानों को देखा जाए ( जहां श्रीराम सोते थे ) तो श्रीराम की ऊंचाई 15 फुट और माता सीता की ऊंचाई 11 फुट थी । शायद यही वजह है कि ओम राउत के निर्देशन में बन रही ‘आदि पुरूष ‘ फिल्म में श्रीराम के किरदार के लिए प्रभास को लिया गया है।

वैसे भी पहले मनुष्य की लंबाई सामान्यतः ज्यादा हुआ करती थी । धीरे-धीरे हम बौने होते चले गये । खैर ।

श्रीराम के नाना का नाम मनोहर था । दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार श्रीराम की एक बहन भी थीं । जिनका नाम शांता था । वे श्रीराम से भी बड़ी थीं । राजा दशरथ ने कतिपय कारणों से उन्हें अंगदेश के राजा को दे दिया था । आईए हम फिर से लौटते हैं श्रीराम के नाना पर ।

गावहिं गीत मनोहर नाना ,
अति आनन्द न जाई बखाना ।

श्रीराम का विवाह और राज्याभिषेक दोनों शुभ मुहूर्त देख कर ही किया गया था । फिर भी न उनका वैवाहिक जीवन सफल हुआ और न ही उनका राज्याभिषेक हो पाया । जब मुनि वशिष्ठ से इसका उत्तर मांगा गया तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया –

सुनहु भरत भावी प्रबल
बिलखि कहेहुं मुनिनाथ ,
लाभ हानि जीवन मरण
यश अपयश विधि हाथ ।

अंत में हम भी यही कहेंगे –

विधि का विधान जान
सुख दुख सहिये ,
जाहि विधि राखे राम
ताहि विधि रहिये ।

vinod kushwah

विनोद कुशवाहा

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