प्रेम पूर्वक निरंतर प्रभु का स्मरण करते हुए, अपने कर्म को करते रहें

प्रेम पूर्वक निरंतर प्रभु का स्मरण करते हुए, अपने कर्म को करते रहें

इटारसी। सरस्वती विद्यालय मार्ग मालवीय गंज में मधुर मिलन सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत सत्संग के सातवे दिन विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा ने व्यास गादी का पूजन किया और कथावाचक पंडित भगवती प्रसाद तिवारी का स्वागत किया।

श्री तिवारी ने कथा में कि सुनाया संपूर्ण संसार में सारे व्यक्ति, वस्तु, पदार्थ अपूर्ण है। केवल एक परम पिता परमात्मा, परमेश्वर ही परिपूर्ण हैं। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि एक परम पिता परमेश्वर को ही लक्ष्य बनाकर, परम आश्रय, परम गति, परम सुख, परम आनंद, परम शांति एवं सर्वस्व समझते हूए अनन्य भाव से प्रेम पूर्वक निरंतर प्रभु का स्मरण करते हुए, अपने अपने कर्म को करते रहे।

केवल परमात्मा के लिए ही कर्म, आचरण करना चाहिए। सब प्रकार से परमेश्वर की ही शरण में हूं ऐसा समझकर घर, गृहस्थी, परिवार, संसार के सभी कामों को करता रहे। काम ही पूजा बन जाऐ। सुखी दुखी होना ये प्रारब्ध के कर्मों का फल नहीं है ये मनुष्य की अज्ञानतावश, मूर्खता के कारण भी कुछ लोग दुख भोग रहे हैं। परमात्मा ने प्रत्येक मनुष्य शरीर में ऐसी योग्यताएं दे रखी है जिससे वह अपने पुरूषार्थ के बल पर, मेहनत कर के सदा सुखी हो सकता है। केवल स्वयं को जानने, पहचानने की जरूरत है। इसलिए कोई सच्चा, गुरु, संत ,साधु, महापुरुष की खोज करना चाहिए जो हमें अपने आप से परिचय करा दे, स्वयं से मिला दे, अपने भीतर ही सुख, शांति, आनंद का अनुभव करवा दे।

हर पल, हर श्वास में परमात्मा को धन्यवाद देते रहे कुछ भी मांगना नहीं है। हम भिखारी ना बन जाएं, अधिकारी बने भक्ति, साधना के बल पर अपने भीतर खजाना है,हम राजा महाराजा से भी बढ़कर सुख शांति आनंद पाने के लिए पैदा हुए है। मरने के बाद परिवार का क्या होगा यह चिंता छोड़ दो, मरने के बाद मेरा क्या होगा यह चिंता शुरू कर दीजिए। सच्ची भक्ति से सच्चे ज्ञान से, सच्चे नाम सुमरण से ही मरण सुधरता है।

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AUTHORRohit

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