इटारसी। राजधानी में नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा नगर पालिका अध्यक्ष/महापौर के आरक्षण की प्रक्रिया के बाद माना जा रहा है कि प्रदेश में बहुत जल्द नगरीय निकायों के चुनावों की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इटारसी नगरपालिका का अध्यक्ष पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। इस बार यह पिछड़ा वर्ग मुक्त है, यानी इस वर्ग से महिला या पुरुष, कोई भी अध्यक्ष पद के लिए चुनावों में जा सकते हैं। निकाय चुनाव में अध्यक्ष पद पर आरक्षण के बाद पिछड़ा वर्ग से जुड़े नेताओं और समाजसेवियों ने चुनावों की तैयारी भी प्रारंभ कर दी है। पार्टी नेताओं का पहला कदम चुनाव के लिए अपनी पार्टी का टिकट पाना है। फिलहाल, टिकट की कोशिशें तेज हो गयी हैं। कुछ नेता ऐसे हैं जो सीधे अपने आला नेता से उम्मीद कर रहे हैं तो कुछ अपने मित्रों के जरिए टिकट की जुगत भिड़ा रहे हैं।
शहर में अध्यक्ष या पार्षद पद के लिए अब तक इतिहास रहा है कि ज्यादातर तो कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में ही सीधा मुकाबला हुआ है। पिछले तीन दशक का इतिहास देखा जाए तो यहां ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। भाजपा से प्रकाशवल्लभ सोनी और श्रीमती सुधा अग्रवाल (Prakashvallabh Soni and Mrs. Sudha Agarwal) ही अध्यक्ष रहे हैं। अनिल अवस्थी, नीलम गांधी, अशोक साहू, रवि जैसवाल (Anil Awasthi, Neelam Gandhi, Ashok Sahu, Ravi Jaiswal) कांग्रेस से नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं। प्रकाशवल्लभ सोनी के देहांत के बाद छह माह के लिए पंकज चौरे (Pankaj Chourey) अध्यक्ष की कुर्सी पर रहे हैं। इस बार पंकज चौरे दावेदारों की कतार में हैं। उनके अलावा भारतीय जनता पार्टी से जगदीश मालवीय, पुरानी इटारसी के तेज तर्रार नेता जयकिशोर चौधरी, यज्ञदत्त गौर, विवेक मालवीय, कुलदीप रावत, रेखा मालवीय, जोगिन्दर सिंह (Jagdish Malviya, Jaikishor Chaudhary, Yagyadutt Gaur, Vivek Malviya, Kuldeep Rawat, Rekha Malviya, Joginder Singh) के नाम गिनाये जा सकते हैं, जो अध्यक्ष पद के लिए टिकट की दावेदारी कर सकते हैं।
कांग्रेस से पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रविकिशोर जैसवाल, उनके भतीजे और युवा कांग्रेस नेता मयूर जैसवाल, नगर कांग्रेस अध्यक्ष पंकज राठौर, पूर्व नपाध्यक्ष अशोक साहू (Ravikisore Jaiswal, Mayur Jaiswal, Pankaj Rathore, Ashok Sahu) के नाम की चर्चाएं हैं। एक नाम तेजी से ओम सेन (Om Sen) का आया है, ये माणक अग्रवाल के खास समर्थक और कुशल रणनीतिकार गुड्डन पांडेय के मित्र हैं। उनका नाम पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तक भी पहुंच गया है। इसी तरह से युवाओं में चंचल पटेल (Chanchal Patel) का नाम भी चर्चाओं में है।
अभी चुनावों की तारीखें घोषित होने का इंतजार है, आने वाले दिनों में अध्यक्ष पद के लिए और भी नाम सामने आ सकते हैं। ये भी संभावना है कि जो नाम चल रहे हैं, उससे इतर कोई नाम अचानक सामने आ जाएं। फिलहाल दावे के साथ किसी एक नाम पर मुहर नहीं लगायी जा सकती है। क्योंकि यह राजनीति है और यहां हर घंटे समीकरण बदल सकते हैं। राजनीति में अपनों को पटखनी देने की कला भी होती है। जो नाम तेजी से उभरता है, उसकी टांग खींचना राजनीति की फितरत बन गयी है। कई बार तो ऐसी स्थिति बन जाती है कि नाम वापसी के समय तक प्रत्याशी बदल जाता है। अत: फिलहाल तो नामों के चलने का सिलसिला है, कब तक चलता है, कब रुकता है। कौन बाजी मारकर बाजीगर बनता है, यह वक्त बताएगा। क्योंकि यह राजनीति है जनाब। यहां अंतिम दिन भी दावे ढह जाते हैं।