इटारसी। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के तवा जलाशय (Tawa Reservoir) को रामसर साइट (Ramsar Site) के रूप में मान्यता मिली। इससे देश में रामसर साइट की सूची 82 से बढक़र 85 हो गई है। यह उपलब्धि स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) की पूर्व संध्या पर मिली है। पर्यावरण मंत्री राम निवास रावत (Environment Minister Ram Niwas Rawat) ने अधिकारियों की टीम को बधाई दी है।
केन्द्रीय वन मंत्री भूपेन्द्र यादव (Union Forest Minister Bhupendra Yadav) ने अपने ट्वीट में बधाई देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के तवा जलाशय को रामसर साइट के रूप में जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत को यह संकल्प लेना चाहिये कि ‘‘विकसित भारत’’ एक हरित भारत है।
तवा जलाशय, तवा और देनवा नदियों के संगम पर है। तवा रिजर्वायर (Tawa Reservoir) की प्रमुख सहायक नदियां मलानी, सोनभद्र, और नागद्वारी हैं। तवा नदी महादेव पहाडिय़ों से उत्पन्न होती है, बैतूल जिले (Betul District) से बहती है और नर्मदापुरम जिले (Narmadapuram District) में नर्मदा नदी से मिलती है। यह नर्मदा नदी (Narmada River) की सबसे लंबी सहायक नदी है (172 किमी)। तवा रिजर्वायर इटारसी शहर ( Itarsi City) के पास स्थित है। रिजर्वायर मुख्यत: सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। हालांकि, बाद में इसका उपयोग विद्युत उत्पादन और मत्स्य पालन के लिए भी किया जा रहा है। तवा रिजर्वायर का कुल जलमग्न क्षेत्र 20,050 हेक्टेयर है। रिजर्वायर का कुल जलग्रहण क्षेत्र 598,290 हेक्टेयर है।
तवा जलाशय वन विभाग, नर्मदापुरम जिले के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है। रिजर्वायर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) के अंदर स्थित है और सतपुड़ा नेशनल पार्क (Satpura National Park) और बोरी वन्यजीव अभयारण्य (Bori Wildlife Sanctuary) की पश्चिमी सीमा बनाता है। रिजर्वायर जल जीवों और वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से पक्षियों और जंगली जानवरों के लिए। यहां कई दुर्लभ और संकटग्रस्त पौधों, सरीसृपों और कीटों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यह स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण आवास है। यह मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा संरक्षित क्षेत्र है। यह क्षेत्र पारिस्थितिकीय, पुरातात्विक, ऐतिहासिक और वनस्पति के दृष्टिकोण से कई अनूठी विशेषताओं से सम्पन्न है।
उल्लेखनीय है कि भारत (India) ने 1971 में ईरान (Iran) के रामसर ( Ramsar) में कन्वेंशन में सहभागी बनने के लिए हस्ताक्षर किए थे और 1 फरवरी 1982 को इस कन्वेंशन में शामिल हुआ। वर्ष 1982 से 2013 तक, कुल 26 साइट्स को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा गया, जबकि 2014 से 2024 तक, देश ने 59 नई वेटलैंडस (Wetlands) को रामसर साइट्स की सूची में जोड़ा है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने नर्मदापुरम जिले के इटारसी में स्थित तवा जलाशय को रामसर साइट घोषित किए जाने पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के लिए यह एक और बड़ी उपलब्धि है। यह देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश के लिए भी गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के मार्गदर्शन में प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत आद्र्रभूमि के संरक्षण के हर संकल्प के लिए प्रदेशवासी भी जागरूक और दृढ़ संकल्पित हैं।
तवा जलाशय मध्य भारत में तवा नदी पर बना एक वृहद जलाशय है। जलाशय का निर्माण 1958 में तवा बांध के निर्माण से हुआ था। यह बांध नर्मदापुरम और हरदा जिलों के कई हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई प्रदान करता है। पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। तवा जलाशय सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान और बोरी वन्य-जीवन अभ्यारण की पश्चिमी सीमा से मिलता है। इस जलाशय से आसपास के क्षेत्रों को बिजली भी उपलब्ध होती है।
क्या है रामसर साइट
वेटलैंड (आद्र्रभूमि) का मानव जीवन में होना जरूरी है। पूरे विश्व में ऐसी जगहों का नेटवर्क बनाकर इसे संरक्षित और विकसित करने, इन जगहों पर पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने वाले जैव विविधता से पूर्ण एक मजबूत इको सिस्टम पनपता है। ऐसे ही तीन भारतीय वेटलैंड को अंतर्राष्ट्रीय महत्व वाले रामसर कन्वेंशन साइट की सूची में शामिल किया गया है।
रामसर साइटों की सूची में तमिलनाडु के नंजरायण बर्ड सेंचुरी और काझुवेली बर्ड सेंचुरी तथा मध्य प्रदेश के तवा जलाशय को शामिल किया गया है। रामसर साइटों की सूची में शामिल भारत के 85 वेटलैंड का कुल क्षेत्रफल 1.35 मिलियन हेक्टेयर से अधिक है। रामसर साइट बनाने का उद्देश्य पूरे विश्व में वेटलैंड का एक नेटवर्क तैयार करना है, ताकि धरती पर मानव जीवन के संतुलन के लिए जरूरी जैव विविधता और इसके इकोसिस्टम को मजबूत रखा जा सके। इसलिए ऐसी जगहों को, जहां विस्तृत क्षेत्र में जैव विविधता पनप रही होती है उसे रामसर साइट का टैग दिया जाता है।
क्या है रामसर साइट और कन्वेंशन
रामसर साइट दरअसल विश्व के अलग-अलग हिस्सों में फैले वेटलैंड हैं. 1971 में जैव विविधता को बनाए रखने के लिए दुनिया भर के वेटलैंड को संरक्षित करने की दिशा में यूनेस्को की ओर से एक कन्वेंशन हुआ था। यह कन्वेंशन ईरान के रामसर में हुआ था। तब से विश्व के अलग-अलग देशों में जैव विविधता से परिपूर्ण वेटलैंडों की पहचान कर इसे रामसर साइट का टैग देकर इसे संरक्षित किया जाता है।
टैग मिलने के फायदे
रामसर साइट का टैग मिलने से उस वैटलैंड पर पूरी निगरानी रखी जाती है, उसे पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए तैयार किया जाता है, रामसर साइट घोषित होने से पहले ही यह तय कर लिया जाता है कि यहां कितने तरह के पक्षियों की प्रजातियां पोषित हो रही हं,ै और यहां का इकोसिस्टम क्या है। इसके बाद एक तय वैश्विक मानक के तहत इसे संरक्षित किया जाता है। ऐसी जगहों पर वैसे निर्माण और अन्य गतिविधियों को रोक दिया जाता है, जिससे वेटलैंड की जैव विविधता प्रभावित होती हो।