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एसटीआर में 21 दिन पहले छोड़ी बाघिन की मौत

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इटारसी। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) के मालिनी (Malini) क्षेत्र में 21 दिन पहले जंगल में छोड़ी गई दो साल की बाघिन की मौत हो गई है। घटना को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व प्रबंधन 24 घंटे तक छिपाता रहा। गुरुवार दोपहर को संबंधित रेंज से प्रबंधन को बाघिन की मौत की जानकारी दी गई। जब बाघिन की मौत की जानकारी जंगल से बाहर आ गई तब प्रबंधन ने बाघिन (Tigress) की मौत होने की पुष्टि की।

बाघिन की मौत के सवाल पर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारियों का कहना है कि बाघिन का शव मिला था। आज पोस्टमार्टम (Post Mortem) कर उसका अंतिम संस्कार किया है। फिलहाल जानकारी नहीं दी कि मौत कैसे हुई। इस मौत की वजह लापरवाही मानी जा रही है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बोरी रेंज में बाघिन को कॉलर आईडी (Caller ID) लगाकर छोड़ा था। पिछले कुछ दिनों से बाघिन जंगल में बने बाड़े के आसपास ही घूम रही थी, लेकिन पिछले तीन दिनों से बाघिन दिखाई नहीं दी। इस बीच मॉनिटरिंग (Monitoring) करने वाले अधिकारियों ने भी बाघिन की खोज खबर नहीं ली। इसी बीच बाघिन की मौत हो गई। बाघिन का शव बाड़े के पास मिला।

बता दें कि 25 अगस्त 2022 को मादा बाघ अपनी मां से बिछडक़र सिवनी वनमंडल (Seoni Forest Division) के ग्राम हरदुआ के निकट एक कुए में गिरकर घायल हो गई थी। उसे रेस्क्यू कर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल (Van Vihar National Park Bhopal) उपचार के लिए भेजा था। कुछ स्वस्थ होने पर बाघ शावक को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना स्थित बाड़े में भेजा था। एसटीआर के वन्यप्राणी चिकित्सक ने लंबा उपचार कर बाघिन को स्वस्थ किया। उसे खुले वनक्षेत्र में 20 जून 2024 को मालनी स्थित बाड़े में लगभग 20 माह गुजारने के बाद रेडियो कॉलर लगाकर छोड़ दिया था।

एसटीआर ने जारी प्रेस नोट में बताया कि लगभग 2 वर्ष पूर्व एक मादा बाघ शावक सिवनी वनमंडल अंतर्गत परिक्षेत्र चौरई (Chaurai) के ग्राम हरदुआ के निकट एक कुए में घायल अवस्था में गिरी हुई पायी गई जिसे रेस्क्यू कर वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल उपचार हेतु भेजा गया। कुछ स्वस्थ होने के उपरांत बाघ शावक को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के चूरना स्थित बाड़े में लाया तथा विशेष निरीक्षण में रखकर पालन-पोषण किया।

कुछ दिन पहले इसे रिवाईल्ड किया। रिवाईल्ड के बाद इसने एक खरगोश तथा एक जंगली सूअर का शिकार सफलतापूर्वक किया। 11 जुलाई 2024 को दोपहर में मोर्टिलिटी सिग्नल (कॉलर के सिग्नल में एक स्थान पर स्थिरता) प्राप्त हुये जिससे स्टाफ को बाधिन के मृत होने या अस्वस्थ होने की आशंका हुई। हाथियों की गश्त से मादा बाघिन को ढूंढा गया जो कि मृत अवस्था में पाया। एसटीआर में डॉग स्काड (Dog Scad) द्वारा मौके का एवं आसपास के क्षेत्र का किसी भी संदिग्धता के लिये गहन निरीक्षण किया गया।

इसके बाद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक एवं डब्ल्यूसीटी के वन्यप्राणी विशषेज्ञ ने शव परीक्षण किया। विशषज्ञों के अनुसार प्रथम दृष्टया मृत्यु का कारण बताया जा रहा है कि किसी अन्य वन्यप्राणी के साथ मुठभेड़ में बाधिन घायल हो गई एवं इस कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसके अलावा हिस्टोपैथौलोजी, टाक्सिकोलोजी, एंटोमोलोजिकल टेस्ट के लिये सैम्पल एकत्र किये गये जिन्हें संबधित संस्थानों में भेजा जा रहा है, जिसे मृत्यु का कारण और सूक्षमता से स्थापित किया जा सके।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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